- सीएम के सामने अपनी मांग रखेगा अनुबंध कर्मचारी महासंघ
Ranchi: कोरोना काल में कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों और पत्रकारों के सामने जोखिम और चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. झारखंड में इसी महीने अब तक 6 से अधिक पत्रकार कोरोना के कारण काल के गाल में समा गए हैं. यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में अब अनुबंध कर्मचारी महासंघ ने सीएम से गुहार लगायी है कि दूसरे राज्यों की तरह झारखंड में भी कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों, पत्रकारों को भी फ्रंट लाइन वॉरियर माना जाये और उन्हें राजस्थान सरकार की तरह 50 लाख रुपये की मदद दी जाए. इस संबंध में जल्द ही सीएम हेमंत सोरेन को झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ की ओर से लिखित रूप से भी आग्रह किया जायेगा.
नौकरी और जान दोनों दांव पर
महासंघ के केंद्रीय संयुक्त सचिव सुशील कुमार पांडेय के मुताबिक वर्तमान सरकार के एक साल से भी अधिक हो गये हैं, पर संविदा कर्मियों के लिए कुछ नहीं किया गया है. नौकरी को दांव पर लगाकर अनुबंध कर्मियों ने वर्तमान सरकार को चुनाव में समर्थन दिया था. अब भी अनुबंध कर्मी कोरोना संकट के बीच जान हथेली पर लगाकर काम कर रहे हैं. 70-80 हजार की पगार उठाने वाले घरों में हैं और कॉनट्रैक्ट कर्मी फील्ड में डटे हुए हैं.
खतरा उठा कर काम कर रहे हैं पत्रकार
जिलास्तर पर कई पत्रकार भी खतरा उठा कर काम कर रहे हैं. हर जिले में छोटे मोटे पत्रकार मामूली पैसों पर ही रोजी रोजगार के लिए काम कर रहे हैं. उनके पास ना ढंग से सैलरी है, ना ही बीमा या स्वास्थ्य संबंधी कोई गारंटी. ऐसे में उन्हें भी वॉरियर माना जाये. कोरोना संक्रमित होने पर उसके इलाज का पूरा खर्च उठाया जाये. जान गंवाने पर 50 लाख तक की मदद मिले.
जान गंवाने पर नहीं मिलती है सरकारी मदद
उन्होंने कहा कि 5000 मनरेगा कर्मी अभी फील्ड में लगे हुए हैं. सरकारी आदेशों का पालन करते हुए प्रवासियों और अन्य लोगों के बीच काम कर रहे हैं. आंगनबाड़ी सेवा से जुड़े 85,000 कर्मी, एनआरएचएम कर्मी, 60 हजार से अधिक पारा टीचर और तमाम कॉन्ट्रैक्ट कर्मी अभी खतरों से जूझते काम कर रहे हैं. ना तो उन्हें अब तक रेगुलर किया गया है और ना ही जान गंवाने पर फूटी कौड़ी का प्रावधान है. ऐसे में सरकार दूसरे राज्यों की तरह प्रावधान लागू करे.
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क्या है राजस्थान सरकार का आदेश ?
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने राज्य में बढ़ते कोरोना के खतरे के बीच संविदा कर्मियों और मानदेय कर्मियों के साथ साथ राशन डीलर और पत्रकारों (मान्यता प्राप्त) को भी लाभ दिये जाने की पहल की है. कोविड ड्यूटी में संक्रमित होने और असामयिक मृत्यु पर 50 लाख रुपये की सहायता राशि देने का आदेश जारी किया है. इसी तरह बिहार सरकार कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों से 60 साल तक सेवा लेने की तैयारी में है.