
पेसा कानून पर झारखंड में अब तक नियमावली नहीं बनी : आदिवासी समन्वय समिति

Ranchi : राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति के सदस्यों ने मंगलवार को रांची प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित किया. समिति के संयोजक और पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने कहा कि पेसा (PESA) कानून को लागू हुए 28 वर्ष और झारखंड को राज्य बने 25 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन अब तक राज्य सरकार ने इस कानून की नियमावली नहीं बनाई है. यह ग्राम सभाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने का प्रमाण है. 19 वर्षों तक आदिवासी मुख्यमंत्री, फिर भी अधिकारों का विस्तार नहीं : धान ने कहा कि झारखंड में बीते 19 वर्षों में आदिवासी मुख्यमंत्री रहे हैं, 9 वर्ष भाजपा के शासनकाल में और 10 वर्ष झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के अंतर्गत. इसके बावजूद किसी भी सरकार ने पेसा कानून को लागू करने की गंभीर पहल नहीं की है. उन्होंने यह भी कहा कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट, जो संविधान की अनुसूची में शामिल हैं और आदिवासियों की जमीनों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं, वे भी आज जमीन लूट की घटनाओं को रोकने में विफल हो रहे हैं. सरकार इन कानूनों को सख्ती से लागू नहीं कर रही है. लैंड बैंक नीति रद्द करने की मांग : पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई लैंड बैंक नीति को मौजूदा झामुमो-कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में समाप्त करने का वादा किया था. लेकिन अब तक इसे रद्द नहीं किया गया है. इस नीति के जरिए गांवों की सामुदायिक जमीनें पूंजीपतियों के हाथों सौंपने का प्रयास हो रहा है. फर्जी जमाबंदी की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग : धान ने कहा कि फर्जी जमाबंदी के माध्यम से सामुदायिक जमीनें बाहरी लोगों को हस्तांतरित की जा रही हैं, जिससे ग्रामीणों का अधिकार छीना जा रहा है. उन्होंने इन मामलों की निष्पक्ष जांच, दोषी राजस्व अधिकारियों की बर्खास्तगी और फर्जी जमाबंदियों को रद्द कर ज़मीनें ग्रामीणों को लौटाने की मांग की है. सरकार आदिवासियों को ठगना बंद करें – देवकुमार धान : देवकुमार धान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों को लगातार ठग रही है. उन्होंने पेसा कानून को तत्काल प्रभाव से लागू करने, सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सख्ती से पालन करवाने और ज़मीन लूट की घटनाओं पर ठोस कार्रवाई की मांग की. इस अवसर पर समिति के अन्य सदस्य - सिकन्दर हेम्ब्रम, फुलचंद तिर्की, संजय तिर्की, बलकु उरांव, नारायण उरांव, लक्ष्मी टुडू, मेघलाल सोरेन, परनु उरांव सहित अन्य उपस्थित थे.