Ranchi : रांची महाधर्मप्रांत में शुक्रवार को संत जोसेफ का पर्व मनाया गया. पर्व पर रांची आर्चडायसिस के आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो ने संत अल्बर्ट कॉलेज के पुरोहितों के बीच मिस्सा संपन्न की. अवसर पर संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि यह वर्ष संत जोसफ का वर्ष है. हमें उनके जीवन पर मनन करना है. इसके साथ ही उन्होंने सभी को एक दूसरे के लिए संत जोसफ बनने का संदेश दिया, जिन्होंने चुपचाप परिवार को बनाने के लिए अपना सारा जीवन समर्पित किया था.
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संत जोसेफ की तरह बच्चों को अपनाने का धर्मगुरुओं को दिया संदेश
संत जोसेफ पर्व के अवसर पर कोकर के होली एंजल्स चर्च के क्लूनी कान्वेंट स्कूल में भी विशेष मिस्सा-आराधना संपन्न की गई. मिस्सा के मुख्य अनुष्ठाता रांची महाधर्मप्रांत के सहायक बिशप थिओडोर मस्कारेन्हास थे. संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि संत जोसेफ ऑफ़ क्लूनी समाज के संरक्षक संत हैं. शिक्षकों को संबोधित करते आगे उन्होंने कहा कि जैसे संत जोसेफ ने येशु के लालन-पालन में पूरा सहयोग दिया. हम, पुरोहितों और धर्मगुरुओं को भी माता-पिता अपने बच्चों को सौप देते है. हमें उन बच्चों को सुरक्षित रखना है. उन्हें अपना मानकर अच्छी शिक्षा देना है. उन्हें एक अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरणा देना है.
अवसर पर कोकर पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर चार्ल्स, फादर सुशील, सिस्टर केरोबिम, सिस्टर मरीना, सिस्टर पूनम, सहित अन्य लोग उपस्थित थे.
संत जोसेफ कौन थे
संत जोसेफ प्रभु ईसा मसीह के पिता थे. उनके बारे में पोप का कहना है कि संत जोसेफ एक धर्मी व्यक्ति थे. वह परिश्रमी और विनम्र थे. वह अपनी पत्नी मरियम से बहुत प्यार करते थे. माता मरियम के गर्भधारण के बारे में न जानने पर शुरुआत में उन्होंने मरियम को त्याग देना चाहा था, पर ईश्वर ने उसके मिशन को बारे में उसे बताया. इसके बाद जोसेफ ने अपनी जिम्मेदारी को स्वीकारा. बिना किसी आलोचना के उसने अपनी भूमिका निभाई और ईश्वर के पुत्र के विकास में अपना पूर्ण सहयोग दिया.
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