Ranchi : पूरा देश कोरोना के महामारी के दौर से गुजर रहा है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना के इस वैश्विक संकट में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका महिला हेल्थ वर्कर्स निभा रही हैं. विषम परिस्थिति में भी ये हेल्थ वर्कर अपने दायित्व का निर्वहन कर रही हैं. समय पर पहुंच कर लोगों की सेवा करना ही इनका कर्तव्य है. लेकिन कुछ ऐसी हेल्थ वर्कर हैं, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. ड्यूटी निभाने के फर्ज के बीच अपने बच्चे का लालन-पालन भी इनकी जिम्मेदारी है. घर पर बच्चे को देखने वाला कोई नहीं है, ऐसे में ड्यूटी पर भी बच्चों को अपने साथ लेकर आती हैं.
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महिला कमजोर नहीं, हिम्मत से सब हो जाता है आसान
श्री कृष्ण लोक सेवा संस्थान में कोरोना वैक्सीनेशन का काम कर रही सपना कुमारी कहती हैं कि बच्चे को पालना मेरी जिम्मेदारी. मैं नर्स हूं, इसलिए अपने काम को निभाना मेरा फर्ज है. उन्होंने कहा कि मेरे घर पर बच्चे को देखने वाला कोई नहीं है. इसलिए अपने दो साल के बेटे को साथ लेकर ड्यूटी आती हूं. सपना कहती है कि पति प्राइवेट जॉब करते हैं. वो अपने काम पर चले जाते हैं. इसलिए बच्चे को साथ लेकर आती हूं. उन्होंने कहा कि यदि काम नहीं करूंगी तो बच्चे के भरण पोषण में दिक्कत होगी. सपना आगे कहती है कि महिला कमजोर नहीं होती है. हिम्मत है तो सब आसान हो जाता है. आज कष्ट सह रही हूं ताकि बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो.
पति IRB का जवान, इसलिए जिम्मेदारी ज्यादा
हरमू मारवाड़ी भवन में वैक्सीनेशन का काम कर रहीं नर्स प्रीति हर रोज 25 किलोमीटर का सफर तय कर अनगड़ा से रांची आती हैं. प्रीति कहती हैं कि पति आईआरबी के जवान हैं. घर पर बच्चे को देखने वाला कोई नहीं है. एक बेटे की मां हूं. इसके बेहतर भविष्य के लिए हर रोज ड्यूटी करती हूं, ताकि आगे चलकर मेरा बेटा अच्छा इंसान बने. प्रीति हर रोज अपने दो साल के बच्चे को लेकर ड्यूटी आती है.
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