13 मई को अदालत ने फैसला रखा था सुरक्षित गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने 13 मई को मस्जिद कमेटी द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब खारिज कर दिया गया है. मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में चल रही कार्यवाही को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि मामला पोषणीय (maintainable) नहीं है. इसे भी पढ़ें : कर्नल">https://lagatar.in/colonel-qureshi-controversy-sc-said-crocodile-tears-are-not-acceptable-order-to-form-sit-ban-on-arrest/">कर्नल
कुरैशी विवाद : SC ने कहा-घड़ियाली आंसू स्वीकार नहीं, SIT गठित करें, गिरफ्तारी पर रोक वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की प्रतिक्रिया: दिल्ली में वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस फैसले को अत्यंत महत्वपूर्ण" करार दिया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 19 नवंबर 2023 को चंदौसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) द्वारा नियुक्त किए गए सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति पूरी तरह से विधिसम्मत थी. उन्होंने कहा कि "देश में कुछ लोगों ने भ्रम फैलाया था कि सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति से पहले मस्जिद कमेटी को सुना जाना चाहिए था. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि आदेश 26, नियम 9 और 10 के तहत अदालत को यह अधिकार है कि वह पक्षों को सुने बिना भी सर्वेक्षण आयुक्त नियुक्त कर सकती है. केवल सर्वे के दौरान दोनों पक्षों की मौजूदगी जरूरी होती है और यह प्रक्रिया 19 और 24 नवंबर को पूरी तरह से पालन की गयी. जैन ने आरोप लगाया कि कुछ वरिष्ठ वकीलों और सांसदों ने इस प्रक्रिया पर टिप्पणी कर न्यायिक गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश की थी, लेकिन हाईकोर्ट के सुविचारित निर्णय ने अब इस पर विराम लगा दिया है. विष्णु शंकर जैन ने यह भी कहा कि वे अब सुप्रीम कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पर रोक लगाने की मांग करेंगे. यह रिपोर्ट अदालत में सीलबंद लिफाफे में दाखिल की गयी है. उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि उपासना स्थल अधिनियम, 1991 इस मामले में लागू नहीं होता क्योंकि दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया है कि यह एक एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा संरक्षित स्मारक है और इसे एएसआई अधिनियम, 1958 के तहत ही संचालित किया जाता है. इसलिए, 12 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश भी इस मामले पर लागू नहीं होते. प्राचीन मंदिर तोड़ मस्जिद बनाने के दावे को लेकर विवाद संभल की शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब वादी पक्ष एडवोकेट हरिशंकर जैन समेत सात अन्य लोगों ने अदालत में दावा किया कि मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गयी है. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, यह मंदिर भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित था और वर्ष 1526 में इसे ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी कार्यवाही पर रोक बीते साल नवंबर में सर्वेक्षण को लेकर संभल में तनावपूर्ण हालात बन गये थे. एएसआई द्वारा सर्वे शुरू करने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगा दी थी. साथ ही यह निर्देश दिया गया था कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका सूचीबद्ध न हो, तब तक निचली अदालत में सुनवाई न हो. इसे भी पढ़ें : झारखंड">https://lagatar.in/new-system-for-mineral-transportation-in-jharkhand-payment-of-toll-tax-is-mandatory/">झारखंड
में खनिज ढुलाई पर नई व्यवस्था: टोल टैक्स का भुगतान अनिवार्य