- सिविल कोर्ट परिसर में दिया घटना को अंजाम, एक पकड़ाया
- पुलिसकर्मी समेत महिला व बच्ची को भी लगी गोली
Lucknow : लखनऊ के सिविल कोर्ट परिसर में बुधवार को वकील की ड्रेस में आये हमलावरों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया और मुख्तार अंसारी के शूटर रहे संजीव जीवा माहेश्वरी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी. हमलावरों ने कचहरी में घुसकर वारदात को अंजाम दिया. इस फायरिंग में पुलिसकर्मी, एक बच्ची और एक महिला को भी गोली लगी. घटना के बाद एक हमलावर को गिरफ्तार कर लिया गया है.
बीजेपी नेता की हत्या का आरोपी था संजीव जीवा
गोली लगने पर संजीव की मौके पर ही मौत हो गई. वह बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त दिवेदी की हत्या का आरोपी था. इसके अलावा कई दूसरे मामलों में अभियुक्त था. घटनास्थल पर इस समय भारी पुलिस बल मौजूद है. संजीव जीवा पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. उसका कनेक्शन मुख्तार अंसारी के साथ था. वह मुख्तार का शूटर रह चुका था. उसका नाम चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी सामने आया था.
90 के दशक में जुर्म से जुड़ा जीवा
संजीव फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था. उसने सबसे पहले 90 के दशक में अपना वर्चस्व बनाना शुरू किया था. इसके बाद उसने आम लोगों के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन में भी अपनी आतंक फैलाना शुरू कर दिया था. शुरुआती जीवन में कंपाउंडर था. नौकरी करते वक्त ही उसके मन में अपराध ने जन्म ले लिया और संजीव ने दवाखाना संचालक का ही अपहरण कर लिया. इसके बाद उसके हौसले बुलंद होते गए और 90 के दशक में जीवा ने कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे को किडनैप कर लिया. इस वारदात को अंजाम देने के बाद उसने फिरौती के एवज में दो करोड़ रुपए की मांग की थी.
कई गैंग में रहा, फिर बनाई अपनी गैंग
संजीव जीवा ने इसके बाद हरिद्वार के नाजिम गैंग में घुसपैठ की. इसके बाद वह सतेंद्र बरनाला गैंग में शामिल हो गया. हालांकि, अलग-अलग गैंग के लिए काम करने के बाद भी संजीव को सुकून नहीं मिला और उसने अपनी गैंग बनाने का फैसला कर लिया. संजीव जीवा का नाम 10 फरवरी 1997 को हुई बीजेपी नेता ब्रम्हदत्त द्विवेदी की हत्या में भी सामने आया था. इस हत्याकांड में जीवा को उम्रकैद की सजा हुई थी. इस बड़ी वारदात के बाद वह मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया था. इस दौरान उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ. बताया जाता है कि मुख्तार अंसारी को नए-नए हथियारों का शौक था. संजीव जीवा अपने तिकड़म से इन हथियारों को जुगाड़ने में माहिर था. उसकी इस खासियत के कारण ही संजीव को मुख्तार का संरक्षण मिल गया. इसके बाद जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी सामने आया था.
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