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सरायकेला: सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी उत्साह के साथ निभा रहा है राज परिवार

Saraikela / Kharsawan : सरायकेला के राजवाड़ी में जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक 16 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करने का परंपरा है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी राजपरिवार के सदस्य पूरे भक्ति भाव के साथ निभा रहे हैं. इस दौरान 16 दिनों तक माता के मंदिर में अखंड ज्योत जलती रहती है. 29 सितंबर की रात जिउतिया पर शुरू हुई माता की पूजा 13 अक्टूबर को नवरात्र के महाष्टमी के दिन संपन्न होगी. जिउतिया से षष्टी तक यह पूजा मां पाउड़ी मंदिर में होती है. फिर षष्टी के दिन शस्त्र पूजा के पश्चात बाकी दिनों की पूजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में होती है. षष्टी के दिन राजा तथा राजपरिवार के सदस्य खरकई नदी के तट पर शस्त्र पूजा करते हैं. फिर राजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में जाकर मां दुर्गा का आह्वान कर पूजा करते हैं. दुर्गा पूजा के दौरान राजवाड़ी के भीतर में नवपत्रिका दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया जाता है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को सरायकेला के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव के साथ-साथ राजपरिवार के सदस्य श्रद्धा, भक्ति व उत्साह के साथ निभाते हैं. इस दौरान पूजा में राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव, रानी अरुणिमा सिंहदेव समेत राजपरिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं. यहां मा भगवती की पूजा आज भी उसी परंपरा के साथ होती है, जो कभी राजा-राजवाड़े के समय हुआ करती थी. [caption id="attachment_167113" align="aligncenter" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/10/raja4-300x212.jpg"

alt="" width="300" height="212" /> रियासत काल में सरायकेला राजवाड़ी में मां दुर्गा पूजा का दृश्य (फाइल फोटो).[/caption]

साल में एक बार नवमी के दिन नुआखाई पर राजपरिवार के सदस्य मंदिर में करते हैं माता के दर्शन

शक्ति की देवी व राजघराने की इष्टदेवी मां पाउड़ी का मंदिर राजमहल के भीतर स्थित है. दुर्गा पूजा में नवमी के दिन नुआखाई का आयोजन किया जाता है. दुर्गा पूजा के दौरान नवमी के दिन नुआखाई के पश्चात राजपरिवार के सदस्य मां पाउड़ी मंदिर में जाते हैं. इस दिन साल के नयी फसल से तैयार चावल का भोग देवी को समर्पित की जाती है. इसके पश्चात राजपरिवार के सदस्य नुआखाई का प्रसाद सेवन करते हैं. इस मंदिर में स्त्री को केवल साड़ी पहनकर तथा पुरुष को केवल धोती व गमछा पहनकर जाने की परंपरा है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/10/raja2-300x270.jpg"

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क्या कहते हैं सरायकेला के वर्तमान राजा

सरायकेला राज घराने के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने बताया कि जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक 16 दिनों की यह पूजा राजतंत्र के दौरान विभिन्न राज परिवारों के द्वारा किया जाता था. सरायकेला राजपरिवार आज भी पूरे भक्ति भाव के साथ इस परंपरा को निभा रही है. दुर्गा पूजा के दौरान सभी आयोजन सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार होती है.   [wpse_comments_template]

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