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ओरमांझी में मनाया गया सरहुल, शांति और समृद्धि की कामना

Ormanjhi: ओरमांझी के मुन्ना पतरा चकला में शनिवार को सरहुल पर्व मनाया गया. झारखंड आदिवासी पड़हा सरना समिति मुन्ना पतरा चकला ओरमांझी के बैनर तले सरहुल मिलन समारोह सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया. इस दौरान सरना स्थल पर पूरे विधि विधान के साथ पूजा की गई. इसका नेतृत्व झारखंड आदिवासी सरना समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम नाथ मुंडा ने किया.

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इस दौरान गाइडलाइन का पालन किया गया. पाहन राजा दिलर्जन पाहन द्वारा सरना स्थल पर राज्य की सुख, शांति और समृद्धि के लिये रंगवा मुर्गा की बलि दी गई. साथ ही भविष्यवाणी की गई की इस वर्ष राज्य में सामान्य बारिश होगी. इससे खेती-बाड़ी बेहतर होगी. मौके पर लोगों ने एक-दूसरे को पगड़ी पहनाकर खुशी मनाई. बता दें कि कोरोना के चलते सरहुल शोभायात्रा नहीं निकाली गई.

हरियाली और खुशहाली का प्रतीक है सरहुल

इस अवसर पर प्रोफेसर प्रेम नाथ ने कहा कि सरहुल महापर्व प्रेम, शांति, हरियाली, खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है. इसे पूरे विश्व में रहने वाले आदिवासी विभिन्न प्रकार से मनाते हैं. झारखंड में बसंत उत्सव के रूप में इस पर्व को कई दिनों तक मनाया जाता है.

कोरोना गाइडलाइन का पालन

उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते सरहुल शोभा यात्रा नहीं निकाली गयी. सरकार के दिये गाइडलाइन का सम्मान करते हुए इस पर्व को सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया. इस दौरान मानकी राजेंद्र शाही मुंडा, भादो उरांव, सुकरा पाहन और सोमर उरांव सहित कई लोग मौजूद थे.

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