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सरना धर्म कोड राजनीतिक दलों के लिए बनता जा रहा हॉट केक

Ranchi: झारखंड में सरना धर्म कोड की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ रही है, जो राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनता जा रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस इस मुद्दे पर सक्रिय हैं और इसे अपने चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा बना चुके हैं. कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को राजभवन के सामने प्रदर्शन किया.
सरना धर्म कोड को लेकर बदलेगी सिय़ासी फिजां
आने वाले दिनों में सरना धर्म कोड को लेकर सियासी फिंजा बदलने के भी कयास लगाए जा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि सभी प्रमुख दल इस मुद्दे पर सक्रिय हैं. केंद्र सरकार के रुख और जनगणना में सरना कोड शामिल करने के निर्णय पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. आदिवासी वोट बैंक का ध्रुवीकरण हो सकता है, जिससे झामुमो और कांग्रेस को फायदा हो सकता है.
झामुमो की आक्रामक रणनीति
- झामुमो ने सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग को अपने राजनीतिक एजेंडे का केंद्र बनाया है. - पार्टी ने केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि जब तक सरना आदिवासी धर्म कोड लागू नहीं होता, तब तक राज्य में जनगणना नहीं होने दी जाएगी. - 27 मई को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की गई है. सरना धर्म कोर्ड पर कांग्रेस की सक्रियता - कांग्रेस ने सरना धर्म कोड को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया है. - पार्टी नेता राहुल गांधी ने राज्य में सरना धर्म कोड पर फोकस बढ़ाने का निर्देश दिया है. - कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन की योजना बनाई है.
भाजपा की चुनौती
- भाजपा इस मुद्दे पर दोहरे रवैये का आरोप झेल रही है. - पार्टी ने 2014 में यूपीए सरकार के दौरान सरना धर्म कोड की मांग को अव्यवहारिक बताकर खारिज करने का हवाला देते हुए झामुमो और कांग्रेस पर पलटवार किया है. - भाजपा के लिए यह मुद्दा एक चुनौती है, क्योंकि सरना को अलग धर्म मान्यता देना उसके हिंदुत्व की विचारधारा से टकरा सकता है. इसे भी पढ़ें - सुप्रियो">https://lagatar.in/supriyo-raised-questions-on-operation-sindoor-and-tiranga-yatra/">सुप्रियो

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