NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को डिटेंशन सेंटर्स से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए असम सरकार को फटकार लगाई. जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां ने असम सरकार से पूछा, 63 विदेशी घोषित लोगों को उनके देश भेजने के बजाय डिंटेशन सेंटर्स में क्यों रखा गया है? क्या आप इसके लिए किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?
हालांकि असम सरकार ने कोर्ट में दावा किया कि इन लोगों का निर्वासन संभव नहीं था, क्योंकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वे किस देश के रहने वाले हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने 14 दिनो में इन सभी को वापस भेजने का निर्देश दिया. बता दे कि डिटेंशन सेंटर्स में अधिकतर लोग बांग्लादेशी और रोहिंग्या हैं.
असम में कई विदेशी हिरासत केंद्र हैं, आपने कितने लोगों को निर्वासित किया है?
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से पूछा, आपने बंदियों का निर्वासन शुरू करने से यह कहते हुए इनकार किया है कि आपको उनके पते की जानकारी नहीं हैं. कहा कि आप उनकी नागरिकता जानते हैं, फिर आप उनका पता मिलने तक कैसे इंतजार कर सकते हैं? यह उनकी नागरिकता वाला देश तय करेगा कि उन्हें कहां जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा, एक बार किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित कर देते हैं, तोउन्हें अनंत काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता.
इसके अलावा कोर्ट ने पूछा, असम में कई विदेशी हिरासत केंद्र हैं. आपने कितने लोगों को निर्वासित किया है? दो सप्ताह में हलफनामा दें.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार असम में अभी सात डिटेंशन सेंटर हैं. इनमें से छह अलग-अलग जेलों के अंदर हैं. जबकि मटिया ट्रांजिट कैंप एक स्वतंत्र सुविधा है. जनवरी 2025 तक मटिया ट्रांजिट कैंप में लगभग 270 विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखा गया था.
केंद्र सरकार को नोटिस देकर माह में जवाब तलब किया
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी पूछा है कि सरकार को यह बताये कि ऐसे व्यक्ति जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात नहीं है, उन मामलों को किस तरह से निपटाया जाना है, क्योंकि वे न तो भारतीय नागरिक हैं और न ही उनकी असली नागरिकता पता है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए एक महीने का समय दिया.
हर खबर के लिए हमें फॉलो करें
Whatsapp Channel : https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q
Twitter (X) : https://x.com/lagatarIN
Google news : https://news.google.com/publications/CAAqBwgKMPXuoAswjfm4Aw?ceid=IN:en&oc=3