NewDelhi : NGO को विदेशी फंडिंग मामले में केंद्र की मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने FCRA के 2020 संशोधन की वैधता बरकरार रखी है. इस फैसले से NGO पर विदेशी चंदे धन की प्राप्ति और इस्तेमाल पर लगी नयी शर्तें लागू रहेंगी. साथ ही नयी शर्त के अनुसार SBI के खाते में ही विदेशी धन प्राप्त करना अनिवार्य रहेगा. बता दें कि नये संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है.
याचिकाओं में संशोधनों को चुनौती दी गयी थी
खबरों के अनुसार नोएल हार्पर और जीवन ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिकाओं में संशोधनों को चुनौती दी गयी थी. कहा कि संशोधनों के कारण विदेशी धन के उपयोग में गैर सरकारी संगठनों पर कठोर और अत्यधिक प्रतिबंध लग गये हैं. विनय विनायक जोशी द्वारा दायर अन्य याचिका में भी FCRA की नयी शर्तों का पालन करने के लिए MHA द्वारा गैर सरकारी संगठनों को दिये गये समय के विस्तार को चुनौती दी गयी थी.
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विदेशी फंड को रेगुलेट करने की जरूरत है
पिछले साल नवंबर में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि विदेशी योगदान अगर अनियंत्रित हुआ तो राष्ट्र की संप्रभुता के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. विदेशी फंड को रेगुलेट करने की जरूरत है. कहा था कि नक्सली गतिविधियां या देश को अस्थिर करने के लिए पैसा आ सकता है. IB के इनपुट भी होते हैं. विकास कार्यों के लिए आने वाले पैसे का इस्तेमाल नक्सलियों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विदेशी फंड प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों द्वारा धन का दुरुपयोग नहीं किया जाये. फंड का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए उन्हें प्राप्त किया गया है, अन्यथा FCRA (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) का उद्देश्य हल नहीं होगा.
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यह नहीं माना जा सकता कि हर कोई अपराधी है
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि यह नहीं माना जा सकता कि हर कोई अपराधी है और देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि देश में कोविड के दौरान आधा प्रशासन गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से हुआ है. सुनवाई के क्रम में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखते हुए कहा था कि संशोधन केवल विदेशी फंड के प्रवाह और बहिर्वाह के बेहतर नियमन और निगरानी के लिए किए गये हैं . इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि किसी भी NGO को विदेश से धन प्राप्त करने का मौलिक अधिकार नहीं है.
NGO के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं किया गया है
गैर-सरकारी संगठनों को विदेशी धन के चेन-ट्रांसफर बिजनेस बनाने से रोकने के लिए FCRA (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम ) प्रावधान बनाये गये हैं. केंद्र ने अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा कि संशोधित कानून केवल भारत में अन्य व्यक्तियों / गैर सरकारी संगठनों को मिले विदेशी योगदान के ट्रांसफर को प्रतिबंधित करता है. NGO को इसका उपयोग उन उद्देश्यों के लिए करना होगा जिसके लिए उसे पंजीकरण का प्रमाण पत्र या सरकार द्वारा पूर्व अनुमति दी गयी है. किसी भी विदेशी दाताओं से विदेशी योगदान प्राप्त करने में किसी भी NGO के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं किया गया है.
20,600 से अधिक व्यक्तियों के पंजीकरण रद्द कर दिये गये
संसद ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम बनाकर देश में कुछ गतिविधियों के लिए विदेशी योगदान पर सख्त नियंत्रण की एक स्पष्ट विधायी नीति निर्धारित की है. केंद्र ने कहा कि FCRA के तहत पंजीकृत करीब 50,000 लोगों में से 23000 से कम व्यक्तियों के पंजीकरण प्रमाण पत्र सक्रिय हैं. 20,600 से अधिक गैर-अनुपालन करने वाले व्यक्तियों का पंजीकरण पहले ही रद्द कर दिया गया है. मौजूदा प्रक्रिया के आधार पर एसबीआई, दिल्ली की मुख्य शाखा में 19,000 से अधिक खाते पहले ही खोले जा चुके हैं. केंद्र ने कई NGO की याचिकाओं पर ये जवाब दाखिल किया था, जिसमें कहा गया कि FCRA में किये गये नये प्रावधान उनके धन को प्रभावित करेंगे और इसके परिणामस्वरूप उनके सामाजिक कार्य में बाधा डालेंगे.
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