Shakeel Akhter Ranchi: शिपिज त्रिवेदी ने एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी में सुनवाई के दौरान इडी द्वारा जब्त की गयी सोने की ईंट को अपनी पैतृक संपत्ति बताया है. शिपिज त्रिवेदी तीन कंपनियों के निदेशक हैं. आइएएस अधिकारी विनय चौबे ने अपना पक्ष नहीं पेश किया है. उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त ने कहा कि उत्पाद नीति में बदलाव कैबिनेट के फैसले के आलोक में किया गया था. इसमें उनका कोई दोष नहीं है. इडी ने झारखंड शराब घोटाला के सिलसिले में इसीआईआर दर्ज करने के बाद अक्तूबर 2024 में छापेमारी की थी. इडी ने छापामारी के दायरे में विनय चौबे, गजेंद्र सिंह, शिपिज त्रवेदी, विनय कुमार सिंह, उपेंद्र शर्मा, धनंजय कुमार, उमाशंकर सिंह, श्रीलैब ब्रुअरीज, आशीष राठौर, एन उदय कुमार को शामिल किया था. शिपिज त्रिवेदी के ठिकाने से सोने की ईंट और दो सिक्के जब्त किये गये थे. इसकी कीमत 20.79 लाख रुपये आंकी गयी थी.
टीटिसिलवे स्थित शराब बनाने वाली कंपनी श्रीलैब के ठिकानों से डिजिटल डिवाईस जब्त किये गये थे. इडी ने प्रारंभिक जांच में पाया कि अशोक निगर निवासी शिपिज त्रिवेदी तीन कंपनियों में निदेशक है. इसमें Brahmastra Education Privet Limited , Skyfliers Business Advisor Privet limited, Trivturf Infrastructure नाम की कंपनियां शामिल है.
आरोप है कि शराब बनाने वाली कंपनी श्रीलैब को नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद उसके खिलाफ कार्रवाई करने में नर्मी बरती गयी.
छापेमारी के दायरे में शामिल किये गये अधिकारियों व अन्य के ठिकानों से डिजिटल डिवाईस और कुछ कागजात जब्त किये गए थे. इडी ने इसे अस्थायी रूप से जब्त किया था. शराब घोटाले मे छापामारी के दौरान जब्त की गयी सामग्रियों को स्थायी रूप से जब्त रखने के लिए इडी की ओर से एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी में याचिका दायर की गयी थी. एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी ने छापामारी के दायरे में शामिल किये गये लोगों को नोटिस भेज कर उनका पक्ष सुना. इसके बाद शराब घोटाले में आगे की जांच के लिए इडी द्वारा जब्त की गयी सामग्रियों को महत्वपूर्ण मानते हुए उसे इडी के कब्जे में रखने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान विनय चौबे ने अपना पक्ष नहीं पेश किया. गजेंद्र सिंह ने अपना पक्ष पेश करते हुए यह दलील दी है कि उनके ठिकानों से जब्त चीजें अपराध करके कमाये गये पैसों से नहीं खरीदी गयी है. शराब के मामले में छत्तीसगढ़ में विचित्र तरीके से प्राथमिकी दर्ज की गयी है. कैबिनेट के फैसले के आलोक में उत्पाद नीति में बदलाव किया गया था. इस नीति के लागू किया गया था. इसमें उनको कोई दोष नहीं है. शिपिज त्रिवेदी ने अपना पक्ष पेश करते हुए कहा है कि सोने की ईंट उनकी पैतृक संपत्ति है. यह किसी तरह के अपराध से कमाये गये पैसों से नहीं खरीदी गयी है. शराब बनाने वाली कंपनी श्रीलैब ने M/S Top Securities से फंड लेने की बात स्वीकार की.