कहा- टीम गठित कर पूरे मामले की कराएंगे जांच
Hazaribagh: हजारीबाग जेपी केंद्रीय कारागार में बरती जा रही अनियमितताओं की खबर पर डीसी नैंसी सहाय ने संज्ञान लिया है. उन्होंने कहा कि टीम गठित कर पूरे मामले की जांच कराएंगे. अनियमितताओं से संबंधित शिकायतें लगातार मिलती रही हैं. यही वजह है कि रूटीन के अलावा जिला प्रशासन समय-समय पर सेंट्रल जेल का औचक निरीक्षण भी कराता रहा है. ‘शुभम संदेश’ हजारीबाग सेंट्रल जेल में बरती जा रही अनियमितताओं की खबरों को लगातार प्रकाशित कर रहा है. जेल की खामियों और धांधली की जानकारी वहां भुक्तभोगी रहे लोग भी देते रहे हैं. इस संबंध में जेल का प्रशासनिक पक्ष भी लगाया जाता रहा है. कई बार जेल अधीक्षक कुमार चंद्रशेखर मौखिक बयान कुछ और देते हैं और लिखित में कुछ और ही जानकारी देते हैं. इसका प्रमाण भी ‘शुभम संदेश’ के पास मौजूद है.
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किसी ने किया ट्वीट, किसी ने दी आंदोलन की चेतावनी
जेल में अनियमितताओं की खबरें सामने आने पर बुद्धिजीवियों ने आवाज उठायी है. जेल प्रशासन के खिलाफ उनकी आवाज तेज हुई है. बुद्धिजीवि जेल में अनियमितताओं को लेकर मुखर हैं. उनका कहना है कि पूरे मामले की निष्पक्षता से उच्चस्तरीय जांच करायी जाए और जिन अधिकारियों की शह पर जेल में मनमानी चल रही है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. जेल में अनियमितताओं को लेकर कांग्रेस नेताओं ने ट्वीट करते हुए मामले से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी अवगत कराया है. विभिन्न राजनीित व सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता अपने-अपने स्तर से उच्चाधिकारियों से लेकर सीएम और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक ट्वीट कर रहे हैं, तो कोई पत्र भेज कर जेल अधीक्षक की करतूतों की जानकारी दी है. सभी ने ‘शुभम संदेश’ में छपी खबरों का हवाला दिया गया है. साथ ही मांग की जा रही है कि जेल में अनियमतताओं की निष्पक्षता से उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
सेंट्रल जेल में चोरी के कोयले का इस्तेमाल : विकास राणा
आजसू के जिलाध्यक्ष विकास कुमार राणा का कहना है कि हजारीबाग सेंट्रल जेल में चोरी के कोयले का इस्तेमाल होता है. झारखंड कोयला उत्पादन में अव्वल राज्य है, फिर भी जेल में चोरी के कोयले का उपयोग करना कहां तक जायज है. इसके लिए आजसू ने कई बार आवाज उठायी.. सेंट्रल जेल की अनियमितताओं की जांच उच्च स्तर पर होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर जांच कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन किया जाएगा.
मानवाधिकार हनन का बड़ा मामला, गृह मंत्रालय से करेंगे पत्राचार : सत्यप्रकाश
आरटीआई एक्टिविस्ट सह सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सत्यप्रकाश ने कहा कि जेल अधीक्षक पूरे कारागार का कस्टोडियन और रक्षक होता है. जेल के सभी तरह कैदियों के खान-पान, रहन-सहन की जिम्मेवारी भी काराधीक्षक पर ही होती है. अगर ऐसी कोई गड़बड़ी हुई है, तो इसमें सीधे तौर पर उनकी संलिप्तता मानी जाएगी. इन सब चीजों की देखरेख की जिम्मेवारी उपायुक्त की होती है. ऐसे में त्वरित संज्ञान लेकर पूरे मामले पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. चूंकि यह मानवाधिकार का बड़ा मामला है. इसीलिए उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट किया है. गृह मंत्रालय से भी पत्राचार करेंगे.
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जेल में धड़ल्ले से घुसनेवाला आनंद कौन है ?
सेंट्रल जेल में धड़ल्ले से घुसनेवाला आनंद कौन है, यह भी जांच का विषय है. बताया जाता है कि कभी वह खुद को पत्रकार, तो कभी सामाजिक कार्यकर्ता, तो कभी डॉक्टर बताता है. आखिर जेल में उसकी इतनी गहरी पैठ कैसे है. वह अखबारनवीसों को पैसे देकर मैनेज करने तक की बात करता है. उसका जेल और जेल अधीक्षक से क्या कनेक्शन है, इसका खुलासा करने की भी मांग लोग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि क्या जेल में उस सख्श की ठेकेदारी और जिमींदारी चलती है और इसके लिए उसे खुली छूट जेल में किसने दे दी है.
बयां की आपबीती
केस-1 : तीन महीने में देख ली नर्क से बदत्तर हालत : पांडेय
पिछले साल फर्जी मामले में जेल भेज दिए गए बरकट्ठा के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश पांडेय ने अपनी आपबीती बयां की. उन्होंने बताया कि तीन महीने में जेपी केंद्रीय कारागार हजारीबाग में नर्क जैसे हालात का वह प्रत्यक्ष गवाह हैं. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने फर्जी मुकदमे में बाइज्जत बरी कर दिया था और संबंधित महिला दारोगा राधा कुमारी पर कार्रवाई भी की गई थी. जब वह जेल गए, तो बंदियों एवं कैदियों को स्नान करने के लिए दो फीट के गड्ढे में पानी भर दिया जाता था बदले में 10-10 रुपए लिए जाते थे. वार्ड में रहने के लिए भी रेट निर्धारित था. प्रत्येक बंदी से तीन हजार रुपए तक लिए जाते थे. परिजनों से वार्तालाप करने के लिए टेलीफोन बूथ भी सजा काट रहे बंदियों के हवाले कर दिया गया है. टेलीफोन बूथ में 10 रिसीवर हैं. यहां एक कॉल पांच मिनट तक के लिए 25 रुपए लिया जाता है. रिचार्ज के नाम पर पांच मिनट का पांच पांच रुपए अलग से तय हैं. जेल के अंदर कैंटीन में मुर्गा 400 से 450 की दर से, प्रति किलोग्राम टमाटर व मिर्चा बाजार से पांच गुने ज्यादा दाम पर दिए जाते हैं. जबकि कैदियों एवं बंदियों को सप्ताह में एक दिन चार पीस मुर्गा या मटन देने का प्रावधान सरकार की ओर से है. इसका मेन्यू चार्ट भी जेल के अंदर दीवारों पर सिर्फ दिखावे के लिए अंकित कर रखा गया है.
केस-2 : बंदियों के साथ होता है जानवरों जैसा व्यवहार
हाल ही में एक मामले में जेल से छूट कर आए कटकदाग के एक व्यक्ति ने बताया कि जेपी केंद्रीय कारा में बंदियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार होता है. वार्ड इंचार्ज बंदियों से अवैध रूप से प्रत्येक माह बेड का पैसा लेता है. जो बंदी पैसा नहीं दे पाते हैं, उनसे वार्ड की साफ-सफाई करवाई जाती है. टॉयलेट साफ करवाते हैं और उसी के पास सोने को देते हैं. खाना ऐसा मिलता है मानो बंदी-कैदी न होकर कोई जानवर है. एक दिन एक समय का भोजन कोई नहीं कर पाता है.पैसे वाले बंदी मोबाइल रखते हैं और प्रत्येक सप्ताह सिपाही इसकी एवज में पैसे वसूलता है.
रसूखदार बंदा अपना खाना खुद बनवाते हैं
जेल में बंद रसूखदार बंदी अपना खाना खुद बनवाते हैं और हर रोज अपना सामान भी बाहर से मंगवाते हैं. लेकिन गरीब बंदी से मुलाकात करने के लिए आनेवाले परिजनों से पैसे लिए जाते हैं. हॉस्पिटल वार्ड में रसूख वाले बंदी हर माह डॉक्टर-जेलर को पैसे देकर सालों से कारा अस्पताल में रह रहे हैं, जबकि उन्हें किसी तरह की कोई बीमारी नहीं रहती है. हर रोज रजिस्टर में दवा भी मेंटेन की जाती है. इस दवा के मेंटेनेंस से जो पैसे बचते हैं, वह सभी अधिकारियों के बीच बंटता है.
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