NewDelhi : भारतीय सेना के शेर कहे जानेवाले, 1933 में रावलपिंडी में जन्मे कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार का गुरुवार को निधन हो गया. बता दें कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों में से एक सियाचिन ग्लेशियर पर भारत का कब्जा बरकरार रखने में अहम रोल निभाने के लिए कर्नल कुमार याद किये जाते हैं. जान लें कि साल 1984 में कर्नल ने मेघदूत ऑपरेशन के समय कई अभियान चलाये थे. वे सियाचिन में पाकिस्तानी की नापाक हरकतों को रोकने वाले भारतीय सेना माने जाते थे. पर्वतारोही के रूप में भी बे प्रसिद्ध थे.
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तो सियाचिन पर आज पाकिस्तान का कब्जा होता
कर्नल नरेंद्र कुमार 1953 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से कुमाऊं रेजिमेंट में वे शामिल हुए थे. सेना के अफसरों का कहना है कि यदि कर्नल हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के कमांडेंट के रूप में सियाचिन ग्लेशियर और साल्टोरो रेंज में वह अभियान नहीं चलाते, तो शायद इस वक्त सियाचिन पर पाकिस्तान का कब्जा होता. कर्नल नरेंद्र को देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री के साथ-साथ अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
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पीएम मोदी और सीडीएस रावत ने शोक जताया
Our strong posturing on the Saltoro Ridge and in other areas of Ladakh are a part of his adventurous travels. His name will forever remain etched in the rich history of our Army: Chief of Defence Staff General Bipin Rawat https://t.co/8AYToH7Sxm
— ANI (@ANI) January 1, 2021
कर्नल नरेंद्र ने सबसे ऊंची चोटी में से एक नंदादेवी चोटी पर पर तिरंग फहराया था. उनके निधन पर पीएम मोदी और बिपिन रावत शोक जताया है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘अपूरणीय क्षति! कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार (सेवानिवृत्त) ने असाधारण साहस और परिश्रम के साथ राष्ट्र की सेवा की. उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना. वहीं सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि सालतोरो रेंज और लद्दाख के दूसरे इलाकों पर हमारा वर्चस्व कर्नल नरेंद्र के साहसिक यात्राओं का ही हिस्सा है. उनका नाम हमेशा सेना के समृद्ध इतिहास में याद रखा जायेगा.