Washington : अमेरिका से बड़ी खबर आ रही है. खबर यह है कि अमेरिका डिफॉल्ट होने के कगार पर पहुंच गया है. रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले अमेरिका की रोज की की कमाई 13 अरब डॉलर रह गयी है जबकि खर्च की बात करें तो यह 17 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है. वर्तमान में सरकार के खाते में महज 49 अरब डॉलर बचे हुए हैं. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें

यूएस ट्रेजरी के कैश बैलेंस में 20 अरब डॉलर की गिरावट
बताया जाता है कि इस सप्ताह यूएस ट्रेजरी के कैश बैलेंस में 20 अरब डॉलर की गिरावट आयी है. ट्रेजरी मिनिस्टर Janet Yellen ने चेतावनी दी है कि अगर डेट सीलिंग की लिमिट नहीं बढ़ाई जाती है तो एक जून को देश डिफॉल्टर हो जायेगा. सूत्रों के अनुसार डेट लिमिट बढ़ाने को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक नेताओं के बीच बातचीत चल रही है. हालांकि अब तक इस पर कोई डील नहीं हो पायी है. डिफॉल्टर होने की संभावना के बीच रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने चेतावनी देते हुए कहा हि कि अमेरिकी की टॉप रैंकिंग पर असर पड़ेगा.
देश की इकॉनमी पर व्यापक असर दिखेगा
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के डिफॉल्ट कर जाने पर इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. ग्लोबल इकॉनमी मंदी की चपेट में आ सकती है. अमेरिकी सरकार और लोगों के लिए बोरोइंग की कॉस्ट बढ़ जायेगी. इसका देश की इकॉनमी पर व्यापक असर दिखेगा. बता दें कि डेट लिमिट की एक सीमा होती है जहां तक फेडरल गवर्नमेंट उधार ले सकती है. जानकारी के अनुसार 1960 से अब तक इस लिमिट को 78 बार बढ़ाया जा चुका है. दिसंबर 2021 में इसे बढ़ाकर 31.4 ट्रिलियन डॉलर किया गया था. लेकिन यह इस सीमा के पार चला गया है.

प्रोट्रैक्टेड डिफॉल्ट से इकॉनमी को भारी नुकसान होगा.
White House Council of Economic Advisers के एक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार अगर डेट सीलिंग नहीं बढ़ाई जाती है तो देश भारी मुसीबत में पड़ जायेगा. इस मामले में व्हाइट हाउस के इकनॉमिस्ट्स का कहना है कि प्रोट्रैक्टेड डिफॉल्ट से इकॉनमी को भारी नुकसान होगा. वर्तमान में जॉब ग्रोथ में दिख रही तेजी पटरी से उतर जायेगी. लाखों रोजगार के खत्म होने का खतरा है. देश 2008 की तरह वित्तीय संकट में फंस सकता है. साल 2011 में भी अमेरिका डिफॉल्ट के कगार पर था. उस समय अमेरिकी सरकार की परफेक्ट AAA क्रेडिट रेटिंग को पहली बार डाउनग्रेड किया गया था. इससे अमेरिका शेयर मार्केट में हाहाकार मच गया था.

