Ranchi : स्वास्थ्य कर्मचारी संघ तथा एएनएम जीएनएम संघ के आह्वान पर अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की राज्यव्यापी हड़ताल का असर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर देखा जा रहा है. कमोवेश हर जिले में इनके हड़ताल पर रहने से स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होती दिख रही है. टीकाकरण कार्य तो ज्यादा प्रभावित हुआ है. वैसे भी राज्य में स्वास्थ्य सेवा की जो स्थिति है वह किसी से छिपी नहीं है. छोटे शहर तो डाक्टरों की कमी का दंश पहले से ही झेल रहे हैं. वहीं अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा की समस्या और जटिल होती दिख रही है. सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. उनकी मांगों पर गौर कर यथोचित उनका समाधान होना चाहिए. कारण मौजूदा समय में स्वास्थ्य सेवा कार्यों की बड़ी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है. शुभम संदेश की टीम ने राज्य के विभिन्न जिलों में हड़ताल से जुड़ी जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट.
चाईबासा
सदर अस्पताल में मरीजों का बोझ बढ़ा
अनुबंध कर्मियों जीएनएम, एएनएम स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. इस कारण जिले के मुख्य सदर अस्पताल पर मरीजों का बोझ बढ़ गया है. सदर अस्पताल में मरीजों से जुड़े अधिकांश कार्य किए जा रहे हैं, पर पहले जो काम तुरंत होते उसमें अब विलंब हो रहा है. प्रखंड स्थित सीएचसी में लोगों का इलाज किया जा रहा है, पर गंभीर स्थिति होने पर उन्हें सदर अस्पताल भेजा जा रहा है. सदर अस्पताल में सारे बेड मरीजों से भरे हुए हैं और उनकी देखभाल एनएम कॉलेज की प्रशिक्षु एएनएम और स्थाई एएनएम, जीएनएम के नियंत्रण में किया जा रहा है ऐसे बहुत ही कम मरीज मिले जो इलाज के अभाव में यहां से जा रहे हो हालांकि मरीजों को बाहर लेटा कर उनके इलाज की नौबत अभी तक नहीं आई है. जो भी मरीज आ रहे हैं उन्हें भर्ती किया जा रहा है. वर्तमान में लगभग 200 बेड हैं जो सब के सब भरे हैं. दूसरी ओर हड़ताल पर बैठी एएनएम जीएनएम अपने मांगों से हटती हुई नहीं दिख रही हैं.
दुमका
कर्मी धरना पर, व्यवस्था चरमराई
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ तथा एएनएम जीएनएम संघ के आह्वान पर अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है. पारा चिकित्साकर्मी नियमित करने की मांग को लेकर सिविल सर्जन कार्यालाय के बाहर धऱना पर बैठे हैं. हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवा पर असर पड़ा है. इस संबंध में फूलो झान्हो मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीजेएमसीएच) के सुपरीटेंडेंट अनुकरण पूर्ति ने बताया कि हड़ताल का असर जरूर पड़ा है. स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है, ऐसा कहना बेमानी होगा. स्वास्थ्यकर्मियों की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. आउटसोर्सिंग स्टाफ से कामकाज लिया जा रहा है. हड़ताल के कारण अस्पताल और आउटसोर्सिंग कर्मियों पर कार्य भार बढ़ गया है. हड़ताल लंबी खींचने पर आगे चलकर स्वास्थ्य सेवा चरमराएगी. किसी भी व्यक्ति के काम करने की सीमा है. लगातार काम करना बोझिल हो जाता है.
रांची
अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी के आमरण अनशन का पांचवा दिन
झारखंड राज्य अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ एवं झारखंड राज्य एनआरएचएम एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ के बैनर तले हड़ताल का 12वां दिन है. जबकि आमरण अनशन का पांचवा दिन है. अनशन पर बैठे 21 अनशनकारियों में 4 लोगों की तबीयत बिगड़ गई है. जिन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दो लोगों की स्थिति गंभीर है. उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया है. जबकि शुगर का लेवल भी बढ़ा हुआ पाया गया है. इधर, अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ के राज्य सचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार का रवैया ह्मलोगों के प्रति उदासीन है.स्वास्थ विभाग की रीढ़ कहे जाने वाले स्वास्थय कर्मियों को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिला है. अपने साथियों को ऑटो से सदर अस्पताल लेकर गए है.
झारखंड में नहीं चलेगी दोहरी नीति
वहीं राजभवन के समक्ष अनशन पर बैठे स्वास्थ विभाग के अनुबंध कर्मियों से मिलने के लिए जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी पहुंचे.इस दौरान उन्होंने अनशनकारियों से अनशन खत्म करने का आग्रह किया.उन्होंने कहा कि हमारी सरकार राज्य के कर्मचारीयों के प्रति सहानुभूति रखती है. विश्वास दिलाता हूं कि अनुबंध कर्मियों की मांग पर हमारी सरकार पहल करेगी. इरफान ने कहा कि मुख्यमंत्री और स्वास्थय मंत्री से मिलकर बात करेंगे. एक कमिटी बनाकर अनशन को खत्म करावएंगे। पहले मैं डॉक्टर हूं, फिर एक विधायक. इस राज्य में दोहरी नीति नहीं चलेगी.
गलत पर पर्दा डालने का काम नहीं करे झासा
जामताड़ा के सिविल सर्जन को घसीट कर लाने के मामले पर इरफान ने सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि अस्पताल में मरीज मर रहे हैं. इलाज नहीं होने के कारण मरीज तबाह है. सीएस को बुलाने गया तो वो वहां पर नहीं थे. मेरा कहने का अर्थ कुछ और ही था. सीएस पहले डॉक्टर है. उनको अपनी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए. मैं डॉक्टर के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता हूं. क्योंकि मैं भी एक डॉक्टर हूं. झासा के अध्यक्ष और सचिव गलत पर पर्दा डालने का काम नहीं करें.
शिक्षा मंत्री से मुलाकात की
अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी के एक प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से भी मुलाकात की है. झारखंड राज्य एनआरएचएम एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष मीरा कुमारी ने कहा कि सरकार ने जटिल से जटिल समस्याओं को हल किया है. ऐसे में हमारी मांगों पर भी विचार करने की जरूरत है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि संघ के द्वारा मांग पत्र दिया गया है. इनके ही माध्यम से पता चला है कि धरना और अनशन चल रहा है. संघ के संवाद को स्वास्थ विभाग में पहुंचाने का काम करेंगे.
काला बिल्ला लगाकर किया काम, कहा- सरकार उदासीन
झारखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी सीएचओ ने अपने 10 सूत्री मांगों को लेकर शुक्रवार को एनएचएम के अभियान निदेशक कार्यालय का घेराव किया. वार्ता सफल नहीं होने के कारण अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शनिवार को राज्य भर के करीब 2000 सीएचओ ने काला बिल्ला लगाकर काम किया है. वही 30 जनवरी से कार्य बहिष्कार का भी ऐलान कर दिया है. हालांकि इस पर कार्यकारिणी की बैठक के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
हेमंत कर्मियों को नियमित कर वादा पूरा करें : गणेश महाली
गम्हरिया। अनुबंध स्वास्थ्य कर्मियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश कोषाध्यक्ष गणेश महाली से मिलकर ज्ञापन सौंपा. अनुबंध स्वास्थ्य कर्मी पिछले 10-15 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, नेत्र सहायक, एक्स-रे टेक्नीशियन, फिजियोथेरेपी एनआरएचएम कर्मी के रूप में कार्य कर रहे हैं. गणेश महाली ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव पूर्व अनुबंध कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था. उसे वादे को वे पूरा करें.
कोडरमा
अनुबंधकर्मी हड़ताल पर स्वास्थ्य व्यवस्था बाधित
कोडरमा। झारखंड में एनआरएचएम और जीएनएम के अनुबंध कर्मचारी संघ एवं झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ 16 जनवरी को मुख्यमंत्री आवास घेराव के बाद 17, 18 जनवरी को राज्यपाल भवन के समक्ष धरना के बाद 19 से अनिश्चितकालीन धरना पर हैं. सदर अस्पताल कोडरमा सहित सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी हड़ताल पर हैकर्मियों की मांग है कि. पिछले 16 साल से न्यूनतम वेतन बढ़ाया जाय.नियमितकरण किया जाय. अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी के हड़ताल पर जाने से मरीजों को भी काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही साथ धरना के कारण परिवार नियोजन बंध्याकरण भी बाधित है. एसएनसीयू प्रभारी डॉ. भारती सिन्हा ने बताया कि अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी के हड़ताल पर जाने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है हमें हमेशा तीन एएनएम की जरूरत होती है लेकिन हड़ताल पर जाने से हमारे यहां एक ही एएनएम है, जिसके नहीं रहने से हमें काफी दिक्कत हो रही है.
बहरागोड़ा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र: व्यवस्था अस्त-व्यस्त, मरीज हो रहे परेशान
बहरागोड़ा। पिछले 10 दिनों से अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मियों के हड़ताल पर रहने के कारण बहरागोड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है. ऐसे कई उपकेंद्र हैं, जिनमें ताले लगे हैं. ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है. सहिया के हड़ताल पर रहने से कुपोषण, गोल्डन कार्ड, टीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य कार्ड, आंगनबाड़ी जैसी योजनाओं पर खराब असर पड़ा है. ग्रामीण क्षेत्र में साधारण उपचार के लिए भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आना पड़ रहा है. इससे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अत्यधिक भीड़ देखी जा रही है. जांच या फिर दवा के लिए मरीजों को काफी समय तक इंतजार करना पड़ रहा है. प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ. उत्पल मुर्मू ने बताया कि नियमित रूप से स्वास्थ्य विधान को बहाल करने में काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.
रामगढ़
सीएचसी में पसरा रहा सन्नाटा
अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से सदर अस्पताल सहित प्रखंड के सीएचसी में असर पड़ा है. इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वाले लोगो को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पतरातू , माण्डु ,रामगढ़ सहित कई सामुदायिक उप स्वास्थ्य में दर्जनों अनुबंध पर एएनएम जीएनएम और पारा मेडिकल कर्मी नियुक्त हैं. सभी की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चों को लगने वाला टीका और महिलाओं की डिलीवरी में काफी परेशानियां हो रही है. वहीं बच्चों की वैक्सीनेशन भी प्रभावित हो रही है .
कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं : एएनएम कर्मी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एएनएम कर्मियों का कहना है कि हम लोगों की हड़ताल में जाने से अस्पताल के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. अस्पताल में बच्चों की वैक्सीनेशन , महिलाओं की डिलीवरी, दुर्घटना से आए मरीजों का प्राथमिक उपचार से लेकर कई तरह के कार्य नियमित होते हैं, जो इस समय प्रभावित हो रहे होंगे .मरीजों को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा .
रामगढ़ के सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं कि अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मियों के हड़ताल पर चल चले जाने से अस्पतालों में आंशिक असर पड़ा है लेकिन इसकी भरपाई आउटसोर्सिंग के तहत कार्य करने वाले कर्मियों से लिया जा रहा है अस्पतालों में थोड़ी बहुत समस्या उत्पन्न हुई है लेकिन मिलाजुलाकर कार्य हो जा रहे हैं रामगढ़ सदर अस्पताल में अनुबंध चिकित्सा कर्मियों की संख्या 20 से 25 की है जो इन दिनों सभी हड़ताल में है इसके जगह में आउटसोर्सिंग कर्मियों से अस्पताल का कार्य लिया जा रहा है. अलग-अलग सीएचसी में भी थोड़ी बहुत परेशानियां हो रही है. अस्पतालों में इनके हड़ताल पर जाने से आंशिक असर पड़ा है.
गिरिडीह
टीकाकरण पर हड़ताल का असर
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ तथा एएनएम जीएनएम संघ के आह्वान पर अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की राज्यव्यापी हड़ताल का सदर अस्पताल पर मामूली असर पड़ा है. हड़ताल का असर केवल बच्चों के टीकाकरण पर पड़ा है. वैक्सीन स्टॉक में नहीं होने के कारण कोविड-19 टीकाकरण पूरी तरह बंद है. लोग वैक्सीन लगवाने काउंटर पर आते हैं, लेकिन लौट कर चले जाते हैं. हड़ताल पर सिर्फ अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी हैं, चिकित्सक नहीं. संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. इस वजह से सदर अस्पताल में हड़ताल का कोई खास असर नहीं है.
हड़ताल का ज्यादा असर जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पड़ा में है. इन केंद्रों में पहले से ही चिकित्साकर्मियों की कमी है. हड़ताल के कारण कामकाज ठप है. मरीज इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने बताया कि सदर अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों की वैकल्पिक व्यवस्था कर कामकाज चलाया जा रहा है. प्रखंडों में हड़ताल का असर पड़ा है. वहीं हड़ताल कर रहे चिकित्साकर्मी भी इस बार आर पार की लड़ाई के मूड में हैं. संघ के जिलाध्यक्ष शंभू मेहता ने बताया कि जब भी संघ के आह्वान पर हड़ताल की गई है सरकार आश्वासन देकर हड़ताल समाप्त करवा देती है. विगत 17 वर्षों से सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है. इस बार मांग माननी ही पड़ेगी. पारा चिकित्साकर्मियों की मांग नियमित करने की है.
हजारीबाग
‘कैसे चलाएं घर-परिवार, वेतनमान देकर सेवा स्थायी करे सरकार’
राज्य भर के अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मी 10 दिनों से हड़ताल पर हैं. नर्सें भी हड़ताल पर हैं. इससे हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज प्रभावित हो गया है. यहां मरीजों के इलाज की वैकल्पिक व्यवस्था तो नहीं की गई है, लेकिन मानवीय संवेदनाओं के नाते हड़ताली कर्मियों से ही स्वास्थ्य सेवा देने का आग्रह किया गया है. वैसे अस्पताल से बिना इलाज कराए कई मरीज लौट भी रहे हैं. हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि आखिर घर-परिवार कैसे चलाएं. सरकार मानदेय खत्म कर वेतनमान दे और सेवा स्थायी करे.
हमेशा नौकरी जाने का भय सताता रहता है
एएनएम शकुंतला भारती कहती हैं कि सेवा स्थायी नहीं होने से हर पल नौकरी चले जाने का भय रहता है. 18 साल के बाद भी सरकार ने सेवा स्थायी नहीं की है. गुहार लगाते-लगाते थक चुकी हूं. काम के अनुरुप वेतन भी नहीं मिलता है. ऐसे में आंदोलन के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा है. 10 दिनों से आंदोलन पर बैठी हूं, पर कोई सुननेवाला नहीं है.
सेवा स्थायी करने के लिए कर रही हूं आंदोलन
हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गेट के सामने 10 दिनों से हड़ताल पर बैठीं नर्स प्रेमलता कुमारी कहती हैं कि सेवा स्थायी हो जाती, तो नौकरी के मामले में खुद को सुरक्षित महसूस करती. वर्षों से लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एएनएम, जीएनएम सभी अनुबंध पर काम कर रहे हैं. उनलोगों की बस एक ही मांग है सेवा स्थायी हो .
मानदेय खत्म कर वेतनमान दे सरकार
एएनएम सुषमा सिन्हा कहती हैं कि सरकार सेवा स्थायी करे और मानदेय की जगह वेतनमान मिले. इसी आस में अनुबंध पर काम करते-करते 15 वर्ष गुजर गए. सब काम हो रहा है, तो फिर सरकार को सेवा स्थायी करने में क्या हर्ज है. कब तक वे लोग अनुबंध पर काम करते रहेंगे. नौकरी कब सुरक्षित होगी, इसको लेकर हमेशा संशय बना रहता है. आंदोलन से कुछ हल निकले.
आगे अब आमरण अनशन होगा
पिछले 10 दिनों से धरने पर बैठीं स्वास्थ्यकर्मी चंचला कुमारी का कहना है कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. अब आमरण अनशन होगा. गुहार लगाते-लगाते वर्षों बीत गए. अब धैर्य जवाब दे रहा है. ऐसे में सरकार ने आंदोलन के सिवाय कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. अनुबंधकर्मियों के प्रति सरकार कभी गंभीर नहीं है. बस काम लेने से मतलब है. सरकार को उनलोगों का परिवार कैसे चले, इसकी फिक्र नहीं है.
आंदोलन करना हमलोगों की मजबूरी है
स्वास्थ्यकर्मी मंजू कुमारी कहती हैं कि आंदोलन करना हमलोगों की मजबूरी है. सरकार ने कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा है. जब तक उनलोगों की मांगें पूरी नहीं होती है, तब तक आंदोलन करते रहेंगे. सरकार से गुहार लगाने से अब तक कोई फायदा नहीं हुआ. आज भी अस्थायी सेवा का दंश झेल रही हैं. काम में जब कोई कमी नहीं है, तो सेवा स्थायी क्यों नहीं की जाती है.
10 दिनों से धरने पर बैठे स्वास्थ्यकर्मियों ने स्थायीकरण के लिए की आवाज बुलंद
झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मचारी और एएनएम जीएनएम संघ के राज्य स्तरीय कमिटी के निर्णयानुसार 10 दिनों से अनुबंध आधारित सेवा दे रहे स्वास्थ्यकर्मी धरने पर बैठे हैं. सभी स्थायी सेवा के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. धरना जिला उपसचिव सह राज्य कमिटी सदस्य शमशाद हुसैन की अगुवाई में सिविल सर्जन कार्यालय हजारीबाग के समक्ष जारी रहा. धरने को झारखंड चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिला शाखा हजारीबाग के अध्यक्ष और मंत्री ने संबोधित किया. हजारीबाग के सभी प्रखंड से एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एक्स-रे टेक्नीशियन, नेत्र सहायक आदि ने भी स्थायी सेवा की मांग की. स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि अब सभी आमरण अनशन पर चले जाएंगे. मौके पर संघ के संरक्षक केडी सिंह, विमल किशोर सिन्हा, जिला उपसचिव एव राज्य कमिटी सदस्य शमशाद हुसैन, विनय कुमार, तारिक जमील, संतोष कुमार, विनोद साहू, एरिक टिर्की, आफताब आलम, अरविंद कुमार, ,देवाशीष मित्रा, ज्योति, मुरली प्रजापति समेत कई लोग मौजूद थे.
प्रयास है कि मरीजों को लौटने नहीं दें : सीएस
सिविल सर्जन एसपी सिंह ने कहा कि प्रयास है कि इलाज प्रभावित नहीं हो और मरीजों को लौटने नहीं दिया जाए. वैसे अनुबंध पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हुई है. वैकल्पिक व्यवस्था आसान नहीं है. ऐसे में हड़ताली कर्मियों से ही मानवीय संवेदनाओं की दुहाई देते हुए चिकित्सा सेवा में सहयोग का आग्रह किया गया है. मरीजों का इलाज चल रहा है. हालांकि कई मरीज बगैर इलाज के भी लौट रहे हैं.
शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज मेें स्थिति चरमराई
10 दिनों से हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है. मरीज को ले जाने के लिए कोई कर्मी नहीं मिल रहे. परिजन खुद स्ट्रेचर और ट्रॉली खींचकर दूसरे वार्ड ले जा रहे हैं. वक्त पर न नर्स और न हीं अन्य कोई स्वास्थ्यकर्मी मिल रहे हैं.
जमशेदपुर
सदर अस्पताल में पारा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल का असर नहीं
सदर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल का कोई असर नहीं दिखा. शनिवार को सामान्य दिनों की अपेक्षा मरीजों की भीड़ कम रहती है. सामान्य दिनों की अपेक्षा डॉक्टर्स भी कम रहते हैं. सदर अस्पताल में स्थिति सामान्य दिखी. स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल से स्वास्थ्य सुविधा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. ओपीडी में जेनरल फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ उपस्थित थे. सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या कम रही. वहीं सदर अस्पताल स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष एएनएम अपनी मांगों को लेकर 17 जनवरी से धरना पर बैठी है. सदर अस्पताल प्रबंधक निशांत कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल से स्वास्थ्य सुविधा पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा है. ओपीडी सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा भी पहले की तरह लोगों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. वहीं इमरजेंसी सेवा पूर्व की तरह जारी है.
स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करनी होगी
इलाज कराने सदर अस्पताल आए परसुडीह निवासी सपन महंती का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधा में सुधार की जरूरत है. अस्पताल में डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने से नाराज सपन महंती ने कहा कि डॉक्टर हमेशा उपलब्ध नहीं रहते हैं. इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. सरकार को स्वास्थ्य सुविधा को और बेहतर करने के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ानी होगी.
स्वास्थ्य सुविधा बढ़िया है
जांच रिपोर्ट दिखाने के लिए सदर अस्पताल आए जेम्को निवासी नागेंद्र प्रसाद का कहना है कि सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा अन्य अस्पतालों की अपेक्षा बेहतर है. शुक्रवार को जांच कराए थे. आज रिपोर्ट मिली तो डॉक्टर को दिखाकर दवा भी ले ली.सदर अस्पताल की व्यवस्था अच्छी है. यहां साफ-सफाई अन्य सरकारी अस्पताल की अपेक्षा बहुत बढ़िया है. लगता नहीं है कि कोई सरकारी अस्पताल है. हां डॉक्टर्स की कमी जरूर है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जुगसलाई में स्थिति सामान्य
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी), जुगसलाई में शनिवार को अन्य दिनों की अपेक्षा मरीजों की संख्या कम रही. चिकित्सक मौजूद थे, लेकिन मरीजों की संख्या कम थी. सीएचसी में आज टीकाकरण का निश्चित दिन होने के कारण बच्चों को टीका दिलाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. दूसरी ओर, सीएचसी में सहियाओं द्वारा अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी है. सीएचओ भी काला बिल्ला लगाकर कार्य करते दिखे.
सीएचसी में टीकाकरण की व्यवस्था ठीक है : भागना बेनुआ
सीएचसी में अपने बच्चे का टीका दिलाने आए सोनारी निवासी भागना बेनुआ ने कहा कि अन्य अस्पताल की अपेक्षा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जुगसलाई में टीकाकरण की व्यवस्था अच्छी है. यहां के स्वास्थ्य कर्मियों का व्यवहार भी अच्छा है. उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई.
सीएचसी में स्वास्थ्य सुविधा ठीक है
बच्चे का इलाज कराने सीएचसी आए बागबेड़ा निवासी संकू साहू ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) जुगसलाई में स्वास्थ्य सुविधा अच्छी है. डॉक्टर द्वारा बच्चे का बढ़िया केयर किया जाता है. डॉक्टर ने बच्चे का चेकअप कर दवा लिखी जो यहां मिल गई. बच्चों या बड़ों के इलाज के लिए सीएचसी ही आता हूं. हड़ताल का कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा है.
कोई परेशानी नहीं
पिता की स्वास्थ्य जांच कराने सदर अस्पताल आए भुइयांडीह निवासी रवि कुमार मिश्रा का कहना है कि सदर अस्पताल में व्यवस्था ठीक ठाक है.यहां साफ सफाई भी बढ़िया है. बड़े अन्य सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा सदर अस्पताल की व्यवस्था बहुत बढ़िया है.अस्पताल में कोई परेशानी नहीं हुई. डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों का व्यवहार भी अच्छा है. इसलिए इलाज के लिए सदर अस्पताल आता हूं.
डॉक्टर का पूरा सहयोग मिल रहा है : भरत महतो
आदित्यपुर निवासी भरत महतो का कहना है पत्नी गर्भवती है लगातार सदर अस्पताल में ही चेकअप करा रहा हूं.डॉक्टर का पूरा सहयोग मिलता है.डिलेवरी के लिए सदर अस्पताल में व्यवस्था बढ़िया है. भरत महतो ने कहा कि अभी तक सदर अस्पताल में इलाज कराने का अनुभव बढ़िया रहा है. इसलिए आदित्यपुर से सदर अस्पताल आता हूं.
मेदिनीनगर
पलामू जिले के मेदिनीनगर के एमएमसीएच अस्पताल में अनुबंध पारा चिकित्सक कर्मी और जीएनएम एएनएम की हड़ताल के कारण एमएमसीएच अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरह से चरमरा गई है. मरीजों को इलाज कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
Leave a Reply