LagatarDesk: इंडियन सुगर मिल एसोशियन (ISMA) ने बताया कि भारत में चीनी उत्पादन में अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही के दौरान 42 फीसदी की वृद्धि हुई है. साल 2020-21 में चीनी उत्पादन 110.22 लाख टन था, जो पिछले साल इसी अवधि में 77.63 लाख टन था. उत्पादन में वृद्धि का कारण गन्ने का अधिक उत्पादन और महाराष्ट्र में चीनी मिलों का काम जल्द शुरु करना है.
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महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन में वृद्धि
समीक्षा के अंतर्गत, महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 39.86 लाख टन है, जबकि पिछले साल समान समयावधि में चीनी का उत्पादन 16.50 लाख टन था. उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन में मामूली वृद्धि दर्ज की गयी है. साल 2020-21 में चीनी का उत्पादन 33.66 लाख टन था, जो पिछले साल 33.16 लाख टन था. भारत में अभी तक लगभग 10 लाख टन चीनी के निर्यात को सौदा हो चुका है. इसके साथ ही चीनी के निर्यात का काम भी शुरू कर दिया गया है.
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थाइलैंड दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक
सरकार ने चीनी के स्टॉक के निर्यात के लिए 60 लाख टन का लक्ष्य तय किया है. ISMA ने कहा कि थाइलैंड दुनिया दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक है, लेकिन इस साल थाइलैंड में चीनी उत्पादन सामान्य से 80-90 लाख टन कम रहा है. इससे भारत के पास पश्चिम एशिया, श्रीलंका, बांग्लादेश और पूर्व अफ्रीका के बाजारों के अतिरिक्त इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों को भी अपनी चीनी का निर्यात करने का अवसर प्राप्त होगा.
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10 दिनों में रुपये के मूल्य में आयी गिरावट से मिलों का लाभ घटा
ISMA ने कहा कि भारत के पास मार्च-अप्रैल 2021 तक चीनी निर्यात करने के अच्छा अवसर है. इसके साथ ही भारत कई सौदे भी कर सकता है. उद्योग संगठन ने कहा कि पिछले 10 दिनों में रुपये का मूल्य 74 रुपये प्रति डॉलर से 73 रुपये प्रति डॉलर हो गया है. इससे भारतीय रुपये में चीनी मिलों का लाभ काफी कम हो गया है.
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भारत 2020-21 में 6 हजार रुपये प्रति टन करेगा निर्यात
ISMA ने कहा कि देशभर में भारतीय चीनी की मांग काफी अच्छी है. थाइलैंड और यूरोपीय संघ के अलावा कई स्थानों पर चीनी के उत्पादन में भारी मात्रा में कमी आयी है. उम्मीद है कि भारत 2020-21 के दौरान 6000 रुपये प्रति टन के साथ लक्ष्य के अनुरूप चीनी का निर्यात करने में सफल होगा.
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