New Delhi : बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के विरोध में विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई के बाद SC ने बिहार वोटर वेरिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. यानी SIR जारी रहेगी. अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी,
Supreme Court allows the Election Commission of India to continue with its exercise of conducting a Special Intensive Revision (SIR) of electoral rolls in poll-bound Bihar.
— ANI (@ANI) July 10, 2025
Supreme Court says that it is of the prima facie opinion that in the interest of justice, the Election… pic.twitter.com/vQ9AGJ4Zfe
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि दस्तावेजों की यह लिस्ट अंतिम नहीं है. इस क्रम में कोर्ट ने आयोग से आधार, वोटर कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने को कहा, जिसका आयोग ने विरोध किया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपको रोक नहीं रहे हैं. हम आपसे कानून के तहत काम करने के लिए कह रहे हैं.
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉय माल्य बागची की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की ओर से किये जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर सवाल पूछे. SC ने चुनाव आयोग से कहा कि यह प्रक्रिया जल्द शुरू करनी चाहिए थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या नियमों में यह स्पष्ट है कि पुनरीक्षण कब करना है? हालांकि कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग जो कर रहा है वह उसका संवैधानिक दायित्व है. इसे कराने का तरीका चुनाव आयोग तय करेगा. कहा कि कानून में स्पेशल रिवीजन का प्रावधान है.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम अदालत ने कहा कि वह संवैधानिक दायित्व के तहत यह कर रहा है. जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जे बागची की पीठ को चुनाव आयोग की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा किउन्हें याचिकाओं पर प्रारंभिक आपत्तियां हैं. जान लें कि श्री द्विवेदी के अलावा, सीनियर एडवोकेट केके. वेणुगोपाल और मनिंदर सिंह चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
इस क्रम में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि पहले आप साबित कीजिए कि चुनाव आयोग जो कर रहा है, वह सही नहीं है. इस पर याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के काम में मनमानी की जा रही है याचिकाकर्ताओं की ओर से पूछा गया कि आधार और वोटर कार्ड को स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा है.
एक याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि नियमों को दरकिनार कर विशेष पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है. यह भेदभावपूर्ण है. कानून से अलग हटकर इसे चलाया जा रहा है. आयोग कहता है कि एक जनवरी 2003 के बाद मतदाता सूची में नाम लिखवाने वालों को अब दस्तावेज देने होंगे. यह भेदभावपूर्ण है.
गोपाल शंकर ने कहा कि चुनाव आयोग SIR को पूरे देश में लागू करना चाहता है और इसकी शुरुआत बिहार से की जा रही है. इस पर जस्टिस धूलिया ने कहा कि चुनाव आयोग वही कर रहा है, जो संविधान में दिया गया है. तो आप यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कुछ कर रहे हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए?