Anshul Sharan

कोरोना वायरस के वैश्विक प्रकोप ने मानव जीवन और दैनिक गतिविधियों को प्रभावित किया है. लेकिन इसने वायु की गुणवत्ता में सुधार भी किया है और जल प्रदूषण को कम किया है. पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आयी है, जिसने पारिस्थितिक तंत्र को बहाल कर दिया है. कई जगह ऐसे अकल्पनीय उदहारण देखने को मिले जो प्रदूषण के कारण दुर्लभ हो गये थे. इसमें भारत में प्रमुख रूप से कई सौ किलोमीटर की दूरी से हिमालय पर्वत का दिखाई देना तथा दुर्लभ पक्षियों और प्रजातियों का दिखाई देना प्रमुख था. इस वर्ष भी कई राज्यों में आंशिक लॉकडाउन लग जाने के कारण पर्यावरण ने अपने-आपको शुद्ध कर लिया. हमें अब ध्यान देना है कि हम पुनः पर्यावरण को प्रदूषित न करें.
हम प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में बनाते हैं. आज का दिन हमें पर्यावरण को संरक्षित और बढ़ाने में समुदायों, उद्यमों और व्यक्तियों द्वारा एक प्रबुद्ध राय और जिम्मेदार आचरण के आधार को व्यापक बनाने का अवसर प्रदान करता है. यह दुनिया भर में पर्यावरण ने हमें जो कुछ भी दिया है, उसका सम्मान करने और स्वीकार करने और यह प्रतिज्ञा लेने के लिए भी मनाया जाता है कि हम इसकी रक्षा करेंगे. आज सरकारें, पर्यावरणविद, पर्यावरणप्रेमी और सामान्य नागरिक जागरूकता पैदा करने के लिए एक विशेष पर्यावरणीय मुद्दे पर अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
पहली बार 1974 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा हमारे परिवेश की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया गया था. आज के दिन को इको डे या पर्यावरण दिवस के रूप में भी जाना जाता है. हर साल इस दिन को एक खास विषय के साथ मनाया जाता है. वर्ष 2021 का थीम पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली – ‘इकोसिस्टम रिस्टोरेशन’ है और पाकिस्तान इस वर्ष के विषय का मेजबान है. पेड़-पौधे लगाकर, खान-पान में बदलाव करके, नदियों और तटों की सफाई करके अपने पर्यावरण को बचाना काफी महत्वपूर्ण हो गया है.
आज के परिप्रेक्ष्य में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली का मतलब है उन पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली में सहायता करना जो खराब या नष्ट हो चुके हैं. साथ ही उन इकोसिस्टम का संरक्षण करना जो अभी भी बरकरार हैं. समृद्ध जैव विविधता के साथ स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र, अधिक उपजाऊ मिट्टी, लकड़ी और मछली की बड़ी पैदावार और ग्रीनहाउस गैसों के बड़े भंडार पर्यावरण संरक्षण में अधिक लाभ प्रदान करते हैं. बहाली कई तरीकों से हो सकती है – उदाहरण के लिए सक्रिय रूप से रोपण के माध्यम से या दबावों को हटाकर ताकि प्रकृति अपने आप ठीक हो सके. यह हमेशा संभव नहीं है कि एक पारिस्थितिकी तंत्र को उसकी मूल स्थिति में वापस लौटाया जा सके. उदाहरण के लिए हमें अभी कृषि भूमि और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है जो कभी जंगल था. पारिस्थितिक तंत्र को भी बदलती जलवायु के अनुकूल होने की आवश्यकता है.
बड़े और छोटे पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने से आजीविका की रक्षा और सुधार होता है. यह बीमारी को नियंत्रित करने और प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है. वास्तव में यह बहाली हमें सभी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा है कि दुनिया को जलवायु संकट से निपटने, प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने और हमारे भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अगले दशक में कम से कम खराब हुई एक अरब हेक्टेयर भूमि को बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना ही होगा. सयुक्त राष्ट्र संघ ने पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए कहा है कि ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री से नीचे रखने के लिए 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को लगभग आधा करने की आवश्यकता है. इसे पारिस्थितिकी तंत्र और उनके कार्बन भंडार को बहाल किये बिना पूरा नहीं किया जा सकता है. भूमि और महासागरों के क्षरण को रोककर और उलट कर हम 10 लाख लुप्तप्राय प्रजातियों को विलुप्त होने से हम बचा सकते है. वैज्ञानिकों का कहना है कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में केवल 15 प्रतिशत पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने से आवासों में सुधार करके विलुप्त होने में 60 प्रतिशत की लायी जा सकती है.
विश्व पर्यावरण दिवस 2021 अभियान – “रीक्रिएट, रीइमेजिन, रिस्टोर” – हमारे पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण को उलटने पर केंद्रित है. जैव विविधता का नुकसान वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल अपने उत्पादन का 10 प्रतिशत खर्च हो रहा है. यदि हम प्रकृति आधारित समाधान को पर्याप्त रूप से वित्त पोषित नहीं करते हैं, तो हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति क्षमता के अनुरूप नहीं कर पायेंगे. अगर हम प्रकृति को अभी नहीं बचायेंगे, तो हम सतत विकास हासिल नहीं कर पायेंगे. विश्व में कुछ महत्वाकांक्षी पारिस्थितिक परियोजनाएं चल रही हैं जो कि पारिस्थितिकी तंत्र को ठीक करने में उपयोगी साबित होंगी.
ग्रेट ग्रीन वॉल एक अफ्रीकी परियोजना है. इसका उद्देश्य पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचना बनाना है. संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य वर्तमान में खराब हुई भूमि के 100 मिलियन हेक्टेयर को बहाल करना, 250 मिलियन टन कार्बन को अलग करना और 10 मिलियन हरित रोजगार पैदा करना है. बदले में यह उपजाऊ भूमि, खाद्य सुरक्षा प्रदान करेगा और जलवायु परिवर्तन के प्रति क्षेत्र के लचीलेपन को मजबूत करेगा. इनिशिएटिव 20×20 के अनुसार, मैक्सिको के राष्ट्रीय वानिकी आयोग (CONAFOR) ने 2014 और 2018 के बीच पूरे देश में 1 मिलियन हेक्टेयर वन भूमि को सफलतापूर्वक बहाल किया.
CONAFOR ने स्थानीय जमींदारों और समुदायों के साथ काम किया ताकि उन्हें बहाली परियोजनाओं को लागू करने में मदद मिल सके और इस क्षेत्र में पौधों की जीवित रहने की दर लगभग दोगुनी हो गयी है. विश्व संसाधन संस्थान ने CONAFOR के काम की प्रशंसा की है और इसे “लैटिन अमेरिका में बहाली पर नेतृत्व दिखाने का बिल्कुल सही तरीका” कहा है. यह कार्यक्रम सक्रिय बना हुआ है और पेड़ लगाने पर निवासियों के साथ काम करना जारी रखता है जो आर्थिक लाभ प्रदान करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रति देश की लचीलापन में सुधार करेगा.
छोटे-छोटे प्रयास भी दूरगामी प्रभाव छोड़ते हैं. दामोदर बचाओ आंदोलन ने बीते 17 वर्षों में दामोदर नद को औद्योगिक प्रदूषण से लगभग मुक्त कर दिया. यह कहना यह जरूरी है कि वर्ष 2004 में विश्व की 10 प्रदूषित नदियों में दामोदर नद का भी नाम था. अगर हम और छोटे प्रयास की बात करें, तो कम से कम हम कुछ वृक्ष तो लगाकर उनकी देखभाल कर ही सकते हैं. दूसरों को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करके भी पर्यावरण बचने में हम सभी अपनी महती भूमिका निभा सकते हैं. जॉन मुइरो (John Muir) ने कहा है कि “Take a course in good water and air; and in the eternal youth of Nature you may renew your own. Go quietly, alone; no harm will befall you”.
डिस्क्लेमर : लेखक पर्यावरणविद तथा पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली अग्रणी संस्था युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. लेख में छपे विचार उनके निजी हैं.
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