- – सितंबर महीने में 293 पंचायतों में मनरेगा मजदूरों को एक दिन भी काम नहीं मिला.
- – 82 पंचायतो में अप्रैल से सितंबर के बीच नही मिला किसी को काम.
- – 82 पंचायत ऐसे, जहां 6 माह से नहीं चल रही मनरेगा के तहत एक भी योजना.
- – 264 प्रखंडो के 4391 पंचायत में चल रहीं मनरेगा योजना.
- – कुल जारी जॉब कार्ड की संख्या – 69.17 लाख.
- – सक्रिय जॉब कार्ड की संख्या – 34.29 लाख.
- – सिर्फ 4,064 परिवार ने 100 दिन काम पूरा कर लिया.
- -11.89 लाख परिवार करते है मनरेगा में काम.
जिम्मेवार कौन ?
- – रोजगार सेवक
- – प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी
- – प्रखंड विकास पदाधिकारी
- – उप विकास आयुक्त
- – मनरेगा कमिश्नर
- – ग्रामीण विकास विभाग
- – केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग
किस माह-कितने रोजगार
माह – रोजगार (मानव दिवस)
- अप्रैल – 466739
- मई – 295203
- जून – 447319
- जुलाई – 519478
- अगस्त – 507832
- सितंबर – 301011
Praveen Kumar
Ranchi : मजदूरों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा का झारखंड में हाल बुरा है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि सितंबर माह में राज्य के 293 पंचायतों में एक दिन भी मनरेगा से रोजगार सृजन नहीं हुआ. वहीं 82 पंचायतो में पिछले छह माह से योजना ठप है. मनरेगा योजना गांव के गरीब एवं असहाय मजदूरों को रोजगार देने वाली योजना है. राज्य के मनरेगा मजदूरों को अब इस योजना के तहत 100 दिनों का काम भी नहीं मिल पा रहा है. राज्य में मनरेगा योजना मे काम करने वाले 34.29 लाख परिवारों मे से मात्र 4,064 परिवार ने 100 दिन काम पूरा किया है.
विभाग के पास जवाब नहीं
आखिर उन 293 पंचायतों में रोजगार का सृजन क्यों नहीं हुआ ? इस सवाल का जवाब विभाग के पास नहीं है. जब यह सवाल ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन से पूछा गया तो उन्होंने कहा मनरेगा आयुक्त से जानकारी ले लीजिए. जब हमने मनरेगा आयुक्त से यही सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इसे लेकर जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है.
मजदूर पलायन को मजबूर
सरकारी आंकड़े के मुताबिक झारखंड में कुल जॉब कार्डधारी मजदूर 69.17 लाख हैं. जिसमें सक्रिय जॉब कार्डधारी की संख्या 34.29 लाख है. एक अप्रैल 2021 से 14 जनवरी 2022 तक मनरेगा के तहत सिर्फ 54041 मजदूरों को काम मिला था. लेकिन चालू वित्त वर्ष अप्रैल में 466739, मई 295203, जून 447319, जुलाई 519478, अगस्त 507832, सितंबर 301011 मानव दिवश रोजगार सृजन हुआ, जो पिछले साल की तुलना मे काफी काम है. मनसून की बेरुखी और मनरेगा में मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने के कारण ग्रामीण इलाके से करीब 10 लाख परिवारों का कोई न कोई सदस्य राज्य से पलायन करने की सोंच रहे हैं या कर गये हैं.
काम नहीं मिल रहा, क्यों न करे पलायन
गिरिडीह जिला के सरिया पश्चिम पंचायत के विभिन्न गांव के मजदूरों का महानगरों की ओर पलायन शुरु हो गया है. पंचायत में मनरेगा योजना बंद रहने से मनरेगा मजदूरों के बीच रोजगार के लाले पड़ गए हैं. मनरेगा मजदूरों को भी काम नहीं मिलने के कारण रोजगार के लिए वे केरल, महाराष्ट्र, कोलकाता जैसे महानगर की ओर कूच कर रहे हैं.
ठेकेदार कर रहे आदिवासियों का शोषण
रोजगार के लिए पलायन कर रहे आदिवासियों का शोषण मजदूरों के ठेकेदार कर रहे हैं. आदिवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों में भेजने के लिये ठेकेदार मोटा कमीशन लेते हैं. मजदूरों को दूसरी भाषा समझ में नहीं आती. ठेकेदार इसी का फायदा उठाता है.
जिला- छह माह ठप योजना (पंचायत की संख्या)- सितंबर में एक दिन भी कम नहीं (पंचायत की संख्या)
- साहेबगंज – 06 – 45
- रांची – 05 – 34
- बोकारो – 22 – 25
- पलामू – 04 – 24
- रामगढ़ – 12 – 23
- गिरिडीह – 09 – 20
- सरायकेला – 03 – 17
- गोडडा – 03 – 14
- गुमला – 0 -13
- पूर्वी सिंहभूम – 09 – 13
- कोडरमा – 03 – 11
- धनबाद – 04 – 09
- पश्चिम सिंहभूम – 00 – 08
- दुमका – 02 – 08
- गढ़वा – 00 – 06
- जामतड़ा – 00 – 06
- पाकुड़ – 00 – 06
- देवधर – 00 – 05
- चतरा – 00 – 04
- लातेहार – 00 -02
- कुल – 82 – 293