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कोरोना संक्रमण से रेल कर्मियों की हालत हो रही गंभीर, इलाज के लिए भटक रहे इधर-उधर

  • रेफर के बावजूद भी मरीज को नहीं ले रहे निजी अस्पताल
  • मंडल अधिकारियों ने हाथ खड़े किये, जांच के लिए भटक रहे रेलकर्मी

Ranchi: रेल मंडल की कॉलोनियों में भी कोरोना की स्थिति दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. यहां तकरीबन 70 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. लेकिन यहां के मरीजों को समुचित इलाज के लिए अस्पताल नहीं मिल रहा. रेल अस्पताल से निजी अस्पतालों में रेफर किए गए मरीज लौटाए जा रहे हैं. मजबूरन इन्हें रेलवे के अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में देखरेख किया जा रहा है. इनमें कई मरीजों की हालत गंभीर है.

रेलवे अस्पताल हटिया में कोरोना जांच से लेकर इलाज तक के लिए भटक रहे रेलकर्मी

रेलकर्मी मनोज कुमार राय की हालत गंभीर है. इन्हें 10 तारीख को बुखार और कमजोरी की शिकायत पर रेल अस्पताल में भर्ती कराया गया. स्थिति खराब होने पर उन्हें राज हॉस्पिटल रेफर किया गया. राज हॉस्पिटल में इन्हें लेने से इनकार कर दिया. कोरोना जांच का सैंपल लेने के बाद चार घंटे तक वो राज हॉस्पिटल के बाहर पड़े रहे. स्थिति गंभीर होता देख परिजनों ने तुरंत इन्हें रेलवे अस्पताल वापस लाया. यहां उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है. उनकी हालत गंभीर है. परिजनों के मुताबिक उनका फेफड़ा 40 प्रतिशत तक संक्रमित हो गया है.

कोरोना संक्रमित होने के संदेह में कर्मी और परिजन यहां दर-दर भटक रहे हैं. कई कर्मियों ने कहा कि यहां आरटीपीसीआर जांच के लिए स्वाब कलेक्शन सेंटर की व्यवस्था रेल मंडल को करानी चाहिए थी. इस व्यवस्था के नहीं होने से कर्मियों को गुरु नानक अस्पताल से बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है. जांच नहीं होने से रेल कर्मियों में कोरोना का दहशत फैलता जा रहा है.

रेल मंडल प्रबंधन मामले को ले रहे हल्के में

एक कर्मी ने बताया कि रेल मंडल प्रबंधक मामले को काफी हल्के से ले रहे हैं. कम से कम आरटी पीसीआर जांच के लिए यहां एक स्वाब कलेक्शन कलेक्टर सेंटर बनानी चाहिए थी. इससे कर्मी और उनके परिजनों को सुविधा होती. स्वाब देने के लिए आरटी पीसीआर जांच के लिए गुरुनानक अस्पताल जाना पड़ता है. यह प्रक्रिया भी काफी पेचीदा है. इसके लिए रेलवे अस्पताल से लेकर गुरुनानक अस्पताल तक भी बहुत सारी औपचारिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है.

इन प्रक्रियाओं के गुजरने के बाद जब गुरु नानक अस्पताल जांच केंद्रीय कर्मी पहुंचता है. तो वहां का कोटा फुल हो चुका होता है. कर्मी को वापस बैरंग लौटना पड़ता है. गुरु नानक में हर दिन आरटी पीसीआर के लिए केवल 50 सैंपल ही लिए जाते हैं. उसके लिए भी लाइन लगाना पड़ता है. इस मामले में रेलवे मेंस कांग्रेस के रांची समन्वयक नित्यानंद कुमार का कहना है कि कोरोना संक्रमण की व्यवस्था को लेकर रेल प्रबंधन ने पूरी तरह हाथ खड़े कर दिये हैं. रेल प्रबंधन इसके लिए और केंद्र की व्यवस्था और संसाधनों पर आश्रित हो गया है. यह बहुत बुरी स्थिति है. वह नैतिक जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है.

मामले पर रेल अधिकारी नीरज कुमार ने बताया कि रेलवे के करीब 70 मरीज कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. इसके लिए समुचित इलाज के लिए मंडल अधिकारी हर स्तर का प्रयास कर रहे हैं. जहां भी जैसा भी संसाधन है, उपलब्ध रहने पर कर्मियों को दी जा रही है. अगर संसाधन नहीं उपलब्ध नहीं होगा हम क्या कर सकते हैं.

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