Search

शराब घोटाले में IAS विनय चौबे व अन्य के ठिकानों से जब्त सामान इडी के कब्जे में ही रहेगा

Shakeel Akhter Ranchi: दिल्ली स्थित एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने शराब घोटाले में विनय चौबे सहित अन्य के ठिकानों से जब्त सामग्रियों को इडी के कब्जे में ही रहने का आदेश दिया है. अथॉरिटी ने प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की ओर से दायर याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद यह आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि इडी ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज प्राथमिकी को इसीआईआर के रूप में दर्ज करने के बाद विनय चौबे, गजेंद्र सिंह सहित अन्य के ठिकानों पर छापा मारा था. 29 अक्तूबर 2024 को इडी द्वारा झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी. 
झारखंड शराब घोटाले से संबंधित कई महत्वपूर्ण चीजें जब्त की गयी थी. छापेमारी के दौरान उत्पाद विभाग के तत्कालीन सचिव विनय चौबे के घर से सेंट्रल विजिलेंस कमीशन द्वारा भेजा गया पत्र, शराब के व्यापार ने इस्तेमाल किये जाने वाले होलोग्राम के नमूने से संबंधित पत्र जब्त किया गया था. इसके अलावा कुछ खुले पेज जब्त किये गये थे. इसमे झारखंड उत्पाद नीति से जुड़े सवाल लिखे हुए थे. 
इडी ने इसके अलावा दो आईफोन (15 और 7) जब्त किये गये थे. इसका इस्तेमाल विनय चौबे द्वारा किया जाता था. इडी ने छापेमारी के दौरान स्वप्ना संचिता द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले सैमसंग गैलेक्सी एस-24 अल्ट्रा भी जब्त किया गया था. इडी ने उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह के ठिकाने से कुछ खुले पन्ने और एक आईफोन जब्त किया था. इडी ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा को इसीआईआर के रूप में दर्ज की थी, उसमें यह आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने जनवरी 2022 में अपना दायरा बढ़ा कर झारखंड भी कर लिया था. इसके लिए छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट ने तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह से मुलाकात की थी. इसके बाद छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड के अरुण पति त्रिपाठी को झारखंड शराब नीति बनाने के लिए कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था. झारखंड सरकार ने कंसल्टेंट की फीस 1.25 करोड़ रुपये निर्धारित की थी. 
झारखंड सरकार द्वरा बनायी गयी शराब नीति में खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तें निर्धारित की गयी थी. इसकी वजह से राज्य में थोक शराब व्यापार का काम मेसर्स ओम साई और दिशिता वेंचर नामक कंपनी को मिली थी. 
झारखंड में नयी उत्पाद नीति में लगायी गयी शर्तों की वजह से थोक व्यापार के छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट में शामिल इन्हीं दोनों कंपनियों ने झारखंड में शराब के थोक व्यापार पर अपना कब्जा जमा लिया था. छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट में शामिल होलोग्राम बनाने वाली कंपनी प्रिज्म को झारखंड में भी होलोग्राम बनाने का काम दिया गया था. छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट के साथ रची इस साजिश के तहत झारखंड सरकार को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.
Follow us on WhatsApp