New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को फिल्म द केरल स्टोरी के निर्माताओं द्वारा दायरउस याचिका पर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा, जिसमें दोनों राज्यों में फिल्म पर पाबंदी लगाने को चुनौती दी गयी है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया कि फिल्म द केरल स्टोरी को देश के बाकी हिस्सों में बिना किसी समस्या के प्रदर्शित किया जा रहा है. कहा कि इस पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं दिख रहा.
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CJI के नेतृत्व वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा, देश के बाकी हिस्सों में फिल्म दिखाई जा रही है, जिसमें वे राज्य भी शामिल हैं जिनकी जनसांख्यिकीय संरचना समान है और वहां कुछ नहीं हुआ. इसका फिल्म के कलात्मक मूल्य से कुछ नहीं लेना-देना है.. यदि लोग फिल्म को नहीं पसंद करते, तो वे फिल्म को नहीं देखेंगे. इस पर सिंघवी ने कहा कि खुफिया जानकारी के अनुसार यहां कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है और विभिन्न समुदायों के बीच शांति भंग हो सकती है.
फिल्म का प्रदर्शन करने वाले सिनेमाघरों को धमकाया जा रहा है
पीठ ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि वह फिल्म द केरल स्टोरी का प्रदर्शन करने वाले सिनेमाघरों को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए उठाये गये कदमों के बारे में स्पष्ट करे. पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी से कहा, राज्य सरकार नहीं कह सकती कि जब सिनेमाघरों पर हमला किया जाता है और कुर्सियों को जलाया जाता है, तो वह मुंह मोड़ लेगी. फिल्म के निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि तमिलनाडु में वास्तव में पाबंदी लगाई गयी है क्योकि फिल्म का प्रदर्शन करने वाले सिनेमाघरों को धमकाया जा रहा है और उन्होंने इसका प्रदर्शन बंद कर दिया है..
फिल्म पांच मई से सिनेमाघरों में प्रदर्शित की गयी
साल्वे ने कहा, पश्चिम बंगाल को लेकर हम अनुरोध करते हैं कि पाबंदी लगाने के आदेश को रद्द किया जाये. इस पर पीठ ने कहा, हम दोनों राज्यों को नोटिस जारी कर रहे हैं. वे अपना जवाब बुधवार तक दाखिल कर सकते हैं.. हम इस मामले पर गुरुवार को विचार करेंगे. द केरल स्टोरी का निर्देशन सुदिप्तो सेन ने किया है और फिल्म को पांच मई से सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया जा रहा है. फिल्म में दावा किया गया है कि केरल की महिलाओं को इस्लाम अपनाने के लिए बाध्य किया गया और आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा उनकी अपने संगठन में भर्ती की गयी. [wpse_comments_template]