Ranchi: भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में संघीय ढांचे की संकल्पना की गयी है. संघीय संकल्पना के तहत देश में दो तरह की सरकारें (केंद्र और राज्य सरकारें) होती है. दोनों ही सरकारों में शक्तियों और कार्यों का स्पष्ट दायरा होता है. इस व्यवस्था में केंद्र और राज्य की सरकारें एक स्पष्ट क्षेत्र में कार्य करती हैं, तथा अपने कार्यों में समन्वय स्थापित करती हैं. लेकिन आज इसका ठीक उलटा देखने को मिल रहा है. जिस तरह से झारखंड की वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार गिराने में असम सरकार की कथित भूमिका सामने आ रही हैं, वह सीधे-सीधे संघीय ढांचे पर चोट करने जैसा है.
इरफान, राजेश और विक्सल ने असम सीएम से मिलने की कही थी बात
हेमंत सरकार में सहयोगी कांग्रेस पार्टी के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी का नाम कैश कांड में आया. जांच के बाद जैसी जानकारी सामने आयी, उससे संकेत मिल रहा है कि तीनों विधायक असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा के सीधे-सीधे संपर्क में थे. कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल (अनूप सिंह) ने रांची के अरगोड़ा थाना में एफआईआर दर्ज कराया, उसमें सीधे-सीधे असम के मुख्यमंत्री का नाम सामने आया. अनूप सिंह ने एफआईआर में लिखा कि विधायक राजेश कच्छप और इरफान अंसारी ने उन्हें हेमंत सरकार गिराने में सहयोग करने की बात की. इसके लिए उन्हें असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा से मुलाकात करनी थी.
इसे पढ़ें–रांची : ब्रदर्स ऐकेडमी के 256 छात्रों ने IIT-JEE Main में मारी बाजी, तनीश अग्रवाल बने टॉपर
बंगाल सीआईडी की रडार पर आये अशोक धानुका भी सीएम बिस्वा के करीबी
वहीं, अब बंगाल सीआईडी की रडार पर गुवाहाटी के कारोबारी अशोक कुमार धानुका आया हैं. सीआईडी सूत्रों के मुताबिक, कारोबारी धानुका के कहने पर ही कांग्रेस के तीनों विधायकों को कोलकाता में एक कारोबारी द्वारा नकदी मुहैया करायी गयी. बताया जा रहा है कि उद्योगपति अशोक धानुका असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के करीबी हैं.
हेमंत सरकार गिराने की पूरी मॉनिटरिंग असम हाउस से हो रही थी : मनोज पांडे
झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा है, अभी महाराष्ट्र की चुनी हुई सरकार को गिराने में असम और वहां के सत्तारूढ़ दल के नेता (असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा) की भूमिका सामने आयी थी. उसके तुरंत बाद झारखंड में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को डिस्टर्ब करने की घटना घटती है, जिसमें सीधे-सीधे असम के मुख्यमंत्री और उनके करीबियों का नाम सामने आता है. मनोज पांडे ने बताया कि इससे पहले सिद्धार्थ मजूमदार का नाम सामने आया था, पार्टी सूत्रों के मुताबिक वे असम सीएम के काफी करीबी माने जाते हैं. आखिर ऐसा क्या कारण था कि जब बंगाल सीआईडी की टीम सिद्धार्थ मजूमदार के घर की तलाशी लेने गयी, तो उसे दिल्ली पुलिस ने रोक दिया. पूरी घटनाक्रम और परिस्थितिजन्य साक्ष्य से परिलक्षित होता है कि हेमंत सरकार गिराने की पूरी मॉनिटरिंग असम हाउस से हो रही थी.
भाजपा को लोकतंत्र में कम और अपने षड्यंत्र तंत्र पर भरोसा ज्यादा: राकेश सिन्हा
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि इसमें अब कोई संदेह नहीं कि भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र में चुनी हुई गैर भाजपाई सरकार को गिराने में कोई भी तिकड़म अपना सकती है. भाजपा को लोकतंत्र में कम और अपने षड्यंत्र तंत्र पर भरोसा ज्यादा है.
Leave a Reply