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जरूरतमंद को नहीं मिल रहा है अबुआ आवास

pramod upadhyay / Ranjana kumari

एक ही परिवार को नाम बदल बदल कर दो-तीन बार मिल रहा है लाभ

गरीब परिवार का भी अपना पक्का मकान हो इसके लिए झारखंड सरकार अबुआ आवास योजना लेकर आई है, लेकिन जरूरतमंद लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि बरसों से केंद्र सरकार ने भी विभिन्न नामों से यथा- पहले इंदिरा गांधी आवास और बाद में प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई, लेकिन केंद्र ने झारखंड में आवास योजना बंद कर दी. इसके बाद झारखंड सरकार ने प्रदेश में अपनी आवास योजना चालू की जिसका नाम अबुआ आवास रखा गया. इस योजना का जोर-शोर से प्रचार प्रसार भी किया गया लेकिन पंचायत के जनप्रतिनिधि इसको विफल करते देखे जा रहे हैं. वे इस योजना के सहारे अपना वोट बैंक बना रहे हैं इसे भी पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय">https://lagatar.in/national-president-of-international-maithili-parishad-dr-kamalkant-jha-passes-away/">अंतरराष्ट्रीय

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10 से 20 हजार रुपये तक की मांग करता है जनप्रतिनिधि

दरअसल, हजारीबाग जिले के कई पंचायतों में जनप्रतिनिधि मोटी रकम लेकर अपने पक्ष में वोट देने वाले लोगों को अबुआ आवास योजना का लाभ दे रहे हैं. ऐसे में गरीब परिवार आज भी कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं. जनप्रतिनिधि के खिलाफ बोलने से भी डरते हैं. इसकी शिकायत किसी अधिकारी को करना नहीं चाहते, लेकिन जनप्रतिनिधि के कारनामे का वीडियो आए दिन वायरल होता रहता है, जिसमें वह कहीं 20 हजार तो कहीं 10 हजार रुपये की मांग करते सुना जाता है. वहीं कई पंचायतों के ग्रामीणों ने शुभम संदेश कार्यालय आकर अपनी पीड़ा बताई. जनप्रतिनिधि की शिकायत सरकार तक पहुंचने का निवेदन किया. इसके बाद शुभम संदेश की टीम ने गुरुवार को सदर प्रखंड की गुरहेत और सखिया पंचायत में विकास की सच्चाई जानने के लिए निकल पड़ी. स्थानीय लोगों से बातचीत की तो सच्चाई सामने आई. हालांकि ग्रामीण काफी डरे हुए थे. वह कुछ बताना नहीं चाह रहे थे, लेकिन नाम नहीं छापने की शर्त पर एक दर्जन से अधिक लोगों ने बताया कि जनप्रतिनिधि वैसे लोगों को आवास दे रहा है, जो उन्हें रकम दे सके और उनके पक्ष में वोट कर सके. बाकी वह आम लोगों के लिए टालमटोल करते रहते हैं. कई लोगों ने यह भी कहा कि सरकार अबुआ आवास के लाभुकों की जांच करे. मुखिया ने एक ही घर में नाम बदल बदल कर दो तीन आवास तक दे चुके हैं. अगर ईमानदारी से जांच होगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

केस नंबर-1

गुरहेत पंचायत के रेवार गांव निवासी शांति देवी बताती है कि मुखिया ने आवास के लिए उससे 20 हजार रुपये की मांग की थी, लेकिन हाथ-पांव जोड़ने के बाद 7 हजार में सौदा हुआ और फिर प्रधानमंत्री आवास दिया गया.

केस नंबर-2

सदर प्रखंड की सखियां पंचायत के पिंजरा पुल निवासी बिंदु देवी ने बताया कि पहले 5 हजार रुपये देकर आवास की बुकिंग करवाई थी, लेकिन वह आवास नहीं मिला. फिर तीन माह पहले गांव के ही एक व्यक्ति, जो खुद को जनप्रतिनिधि बोल रहा था, 10 हजार रुपये लेकर चला गया. बोला कि जल्द आवास मिलेगा, लेकिन आज तक नहीं मिला. पूछे जाने पर प्रक्रिया में होने की बात कहता है.

केस नंबर-3

सखिया पंचायत के एक लाभुक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पांच महीना पहले 20 हजार रुपये देने के बाद आवास मिला है, जिसका भुगतान मात्र 30 हजार रुपये हुआ है. उसने यह भी बताया कि आवास का डीवीसी करवा कर पैसे के अभाव में छोड़ दिया गया है. अब बरसात आने वाला है. ऐसे में कच्चे मकान में रहना मुश्किल है. इसे भी पढ़ें : साहिबगंज">https://lagatar.in/sahibganj-tsunami-of-india-alliance-going-on-in-jharkhand-imran-pratapgarhi/">साहिबगंज

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