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झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में तैयार है घोटाले की जमीन, बोर्ड की मंजूरी बिना हो रहा भुगतान

मुख्य बातें

9 माह से नहीं हुई बोर्ड की बैठक

बिना मंजूरी 3.76 करोड़ का पेंमेट

बिना जरूरत खरीदी करोड़ों की मशीनें

Pravin kumar

Ranchi :  झारखंड स्टेट कोऑपरिव बैंक में बड़े घोटाले की जमीन तैयार है. करीब 2200 करोड़ की पूंजीवाले इस बैंक में झारखंड के गरीब किसानों तथा जमाकर्ताओं करीब 1700 करोड़ रुपये जमा है. बैंक से करीब 500 करोड़ रुपये ऋण के रूप में भी दिये गये हैं. लेकिन बैंक की जो मौजूदा व्यवस्था है, उससे जमाकर्ताओं के पैसों की सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गयी है. बताया जाता है कि अध्यक्ष और सीईओ की मिलीभगत से बिना जरूरत करोड़ों की मशीनें खरीदकर बैंक में डंप कर दी गयी हैं. 

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बैंक का स्वामित्व RBI और झारखंड सरकार के पास

झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक और झारखंड सरकार के दोहरे स्वामित्व में संचालित किया जा रहा है. बैंक के निदेशक मंडल के कई सदस्य वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा करते इस्तीफा भी दे चुके हैं. हर तीन माह में होनेवाली बोर्ड की आखिरी बैठक करीब 9 माह से नहीं हुई है. इससे बैंक की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं.

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भाजपा नेता और पूर्व सांसद अभयकांत हैं चेयरमैन

झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक की बागडोर भाजपा नेता अभयकांत प्रसाद के हाथों में है. अभयकांत प्रसाद भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं. बैंक का हर निर्णय निदेशक मंडल ले रहा  है. बताया जाता है कि निदेशक मंडल में कोरम पूरा होने भर भी सदस्य नहीं बचे हैं. ऐसे में बोर्ड के फैसलों की वैधानिकता पर सवाल उठ रहे हैं. बैंक की तरफ से झारखंड सरकार और सहकारिता विभाग ने आंखें मूंद रखी है.

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सीईओ की नियुक्ति को भी बोर्ड का अनुमोदन नहीं

बैंक के सीईओ प्रेम प्रकाश हैं. बताया जाता है कि उनकी नियुक्ति को बोर्ड का अनुमोदन नहीं है. लेकिन वह धड़ल्ले से बैंक के दैनंदिन से जुड़े सभी निर्णय ले रहे हैं. इनमें वित्तीय फैसले भी शामिल हैं. प्रेम प्रकाश की नियुक्ति सितंबर 2020 में हुई थी. यह नियुक्ति भी सहकारी समिति अधिनियम-1935 की धारा (बी) के तहत लीगल सिलेक्शन ऑथोरिटी द्वारा नहीं की गयी है. जानकारी के अनुसार प्रेम प्रकाश का सेवा संपुष्टि भी नहीं हुई है.

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बिना मंजूरी डाटा सेंटर के नाम पर किया भुगतान

झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में अनियमितता इस कदर हावी है कि बिना निदेशक मंडल के अनुमोदन के ही बड़े भुगतान किये जा रहे हैं. पिछले साल अध्यक्ष अभयकांत प्रसाद तथा एक निदेशक शंभूचरण कर्मकार के आदेश पर महाप्रबंधक ने 3 करोड़ 76 लाख का बोगस भुगतान डाटा सेंटर के नाम पर कर दिया. जबकि बैंक के निदेशक मंडल ने डाटा सेंटर बनाने का निर्णय नहीं लिया था.

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राजनीतिक दबाव के कारण नहीं हो रही कार्रवाई

बैंक के निर्वाचित प्रतिनिधि तथा सहकारिता अध्ययन मंडल के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह लगातार विभागीय अधिकारियों,  रिजर्व बैंक तथा नाबार्ड को इन गड़बड़ियों की शिकायतें भेज रहे हैं पर कार्रवाई नहीं हो रही है.  रजिस्ट्रार तथा अन्य विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने का राजनैतिक दबाव बनाया जा रहा है.

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क्या कहते हैं मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेम प्रकाश

बोर्ड द्वारा निकाले गये विज्ञापन के अलोक में नियमसंगत तरीके से मेरा चयन किया गया है. 10 जुलाई 2020 बोर्ड के निर्णय के बाद सीईओ पद पर चयन किया गया. एक माह बाद मैं बैंक में अपने पद पर सेवा दे रहा हूं. मुझे पदभार ग्रहण बोर्ड के चेयरमैन के द्वारा कराया गया. मेरी सेवा संपुष्टि बोर्ड को करनी है. बोर्ड की बैठक नहीं होने के कारण सेवा संपुष्टि नहीं हो सकी है.

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