Akshay Kumar Jha
Ranchi: 2014 से लेकर 2019 तक की सरकार. रघुवर सरकार. झारखंड की राजनीति से थोड़ा सा भी वास्ता रखने वालों के लिए यह काल राजनीतिक अखाड़े का वो दंगल साबित हुआ जिसमें एक मंत्री जीता और पूरी सत्ता हारी. सरकार से बीजेपी के हाथ धोने की वजह चाहे लाख हों, लेकिन चर्चा सरयू और रघुवर की ही हुई. सरयू राय ने मंत्री रहते हुए करीब 100 ऐसे मामले रघुवर सरकार के खिलाफ में उठाए, जिसका खामियाजा रघुवर दास को चुनाव में उठाना पड़ा.
खुद अपनी सीट भी नहीं बचाने वाले रघुवर भी ठीक उसी तरह से धीरे-धीरे सरयू राय के निशाने पर आए, जैसे हेमंत सोरेन आ रहे हैं. बहुमत के करीब पहुंचने के बाद हेमंत सोरेन के आवास का वो मंजर अब कोई वजूद नहीं रखता, जहां उन्हें आशीर्वाद देने के लिए सरयू राय के साथ बाबूलाल मरांडी भी पहुंचे थे. उस मिलन समारोह का नाम भले ही सर्वदलीय बैठक दिया गया था. लेकिन धीरे-धीरे शीशे की तरह सब साफ होता चला गया. और अब आगे जो होने वाला है, वो झारखंड की बागडोर थामने वालों के लिए आदर्श स्थिति का संकेत नहीं दे रहा है.
निशिकांत के साथ होते सरयू
हेमंत सरकार बनने के बाद पूरी सरकार एक तरफ और गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे एक तरफ थे. हालात कमोबेश वही बने हुए हैं. मधुपुर चुनाव हारने के बाद भले ही निशिकांत दुबे थोड़े बैकफुट पर जरूर चले गए हैं. लेकिन अब सरयू से मिलता साथ उन्हें एक बार फिर से फ्रंटफुट पर ला रहा है. दरअसल दुमका आईजी प्रिया दुबे की तरफ से प्रताप यूनिवर्सिटी, राजस्थान के कुलपति को पत्र भेजा गया है. इस चिट्ठी को लेकर सरयू राय भड़के हुए हैं. उन्होंने एक ट्विट किया है. उन्होंने ट्विट करते हुए लिखा है कि “@HemantSorenJMM सांसद निशिकांत दूबे की पीएचडी डिग्री की तलाश में दुमका आईजी ने प्रताप यूनिवर्सिटी,राजस्थान के कुलपति को पत्र भेजा है.
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पत्र में देवघर थाना के जिस कांड की जांच का जिक्र है, उस एफआईआर में ऐसा कुछ है ही नहीं. ऐसी पुलिस कार्य संस्कृति से बाहर में राज्य की कैसी छवि बनेगी?” इस मामले पर लगातार ने पूर्व मंत्री सरयू राय से बात की. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री से हमने कहा है कि पुलिस के बड़े अधिकारी इस तरह की चिट्ठी लिखते रहेंगे राज्य के बाहर,कैसी छवि बनेगी. जिस कांड संख्या का उल्लेख चिट्ठी में किया गया है, उसमें साफ है कि जो मामला देवघर में दर्ज किया गया है उसमें कहा गया है कि इनकी डिग्री फर्जी है. चुनाव आयोग इनके खिलाफ कार्रवाई करे. लेकिन पुलिस अधिकारी की तरफ से पूछा जा रहा है कि राजस्थान की यूनिवर्सिटी से उन्होंने कौन किस थेसिस पर पीएचईडी की है. इन तमाम चीजों को मांगने का क्या मतलब है. जो एफआईआर है उसकी जांच ना करते हुए तमाम तरह की बात पूछी जा रही है. कोई आईजी लेवल का अफसर किसी वीसी को पत्र लिखकर ऐसे कैसे पूछ सकता है. वीसी को लिखने का क्या मतलब है.
किस रसूखदार नेता का पार्टनरशिप है इस अस्पताल में
सरयू राय-निशिकांत दुबे मामले के अलावा भी सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं. हाल ही सरयू राय विवादों में रहे डॉ. आनंद के आवास पर दिखे. वहां भी उन्होंने सरकार के खिलाफ बयान दिया और कहा डॉ. आनंद के साथ जो हुआ उससे सरकार की साख पर बट्टा लगा है. साथ ही उन्होंने ट्विट करते हुए यह भी कहा कि “बंद कांतिलाल अस्पताल में चल रहे एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर के मालिक कौन हैं? क्या ये सरायकेला जिले के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी के साले हैं. जहां फर्जी मुकदमा कर डॉ. आनंद को जेल भेजा गया? क्या इस सेंटर में सत्ता पक्ष के एक रसूखदार नेता परिवार का पार्टनरशिप है? ये सवाल जवाब मांगते हैं.” सरयू राय के ऐसे ट्विट और बयान से ही यह सवाल अब उठने लगे हैं कि “रघुवर-सरयू वाले हालात कहीं हेमंत काल में तो नहीं बन रहे”.
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