Ranchi : रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के दो नीड-बेसिस शिक्षक पिछले चार वर्षों से बिना वेतन के नियमित रूप से शिक्षण कार्य कर रहे हैं. ये शिक्षक संथाली और हो भाषा विभाग में कार्यरत हैं. उनकी नियुक्ति वर्ष 2018 में की गई थी और तब से वे लगातार पीजी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं, शोधार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं और शैक्षणिक गतिविधियों में योगदान दे रहे हैं.
शिक्षकों ने बताया कि जनवरी 2018 में पहली बार उन्हें प्रति माह 36,000 रूपये मानदेय निर्धारित किया गया था. 10 मई 2023 तक यही राशि स्वीकृत रही, जिसके बाद 11 मई 2023 से इसे बढ़ाकर 57,700 रूपये कर दिया गया. इसके बावजूद अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें किसी भी महीने का वेतन नहीं दिया गया है.
विभागाध्यक्ष की चुप्पी, वेतन बिलों की अनदेखी
शिक्षकों के अनुसार, वे हर महीने वेतन भुगतान से संबंधित बिल विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपते हैं. लेकिन भुगतान की प्रक्रिया अभी तक किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है. इस मुद्दे पर कई बार संबंधित विभागों को ज्ञापन और पत्र भेजे गए हैं, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला.यह भी सामने आया है कि वर्ष 2020 और 2021 में उनके वेतन से TDS के तहत 18,000 रूपये की कटौती की गई थी, जो अब तक वापस नहीं की गई है.
"न्याय नहीं मिल रहा" – शिक्षकों का आरोप
शिक्षकों का कहना है कि हम केवल शिक्षण कार्य ही नहीं कर रहे, बल्कि शोध, सेमेस्टर परीक्षाएं और शैक्षणिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर रहे हैं. इसके बावजूद वेतन न मिलना सरासर अन्याय है.
उनका यह भी कहना है कि यह मामला उच्च शिक्षण संस्थानों में कार्यरत अनुबंध आधारित शिक्षकों की उपेक्षा और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है.
विभागाध्यक्ष ने फोन काटा, रजिस्ट्रार और वित्त पदाधिकारी ने दी प्रतिक्रिया
जब इस विषय पर संथाली और हो भाषा विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. मेरी एस. सोरेंग से संपर्क किया गया. तो उन्होंने कहा कि मैं व्यस्त हूं, बाद में बात करूंगी, और तुरंत कॉल काट दिया. बाद में जब संवाददाता विभाग में उनसे मिलने पहुंचे.तो उन्होंने कहा कि मैं रिटायर हो चुकी हूं, विभाग का रजिस्टर विश्वविद्यालय को सौंप दिया गया है और कोई अन्य जानकारी देने से इनकार कर दिया.इस विषय में रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. गुरुचरण साहु ने कहा कि मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है. वहीं विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ. दिलीप प्रसाद ने कहा कि मैं इस समस्या को संज्ञान में ले रहा हूं और स्वयं विभागाध्यक्ष से इस संबंध में बात करूंगा.