Pankaj Chatuvedi
इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से खबर आ रही है कि थूक लगा कर तंदूरी नान बनाने वाले की. एक ही सम्प्रदाय के लोगों के वीडियों आ रहे हैं. मुकदमें कायम हो रहे हैं. पिछले साल लगभग इसी समय, थूक लगाकर सब्जी-फल बेचने, करेंसी देने, दरवाजे पर थूक लगा देने का हल्ला, रांची में नगर निगम की गाड़ी पर थूकने की अफवाह, कथित वीडियों खूब चले थे. और इसकी आड़ में सैकड़ों सब्जी बेचने वालों की निर्मम पिटाई के वीडियों भी लोग चस्का ले कर देख रहे थे.
कारण इस समय बीते साल सरकारी आश्रय प्राप्त नफरती लोगों ने यह माहौल बना दिया था कि दिल्ली मे हजरत निजामुद्दीन के पास तबलीगी जमात के मरकज़ से कोरोना फैला. जो लोग भी जमात में शामिल हुए उनके कारण कोरोना फैला. विदेशी तबलीगी कोरोना फैला रहे हैं. या यों कहें कि मुसलमान देश में साजिशन कोरोना फैला रहे हैं. सारे दिन टीवी पर यही बहस.
घर में बंद होने को मजबूर लोगों का एकमात्र आसरा मोबाईल फोन और उस पर दिन भर आईटी सेल के बिकाऊ और लम्पट समूह द्वारा इस तरह के वीडियों, खबर, आदि का प्रसारण.
रही बची कसर केजरीवाल जैसे “बगल बच्चों ” ने पूरी कर दी और दिल्ली में कोरोना के लिए तबलीगी जमात को दोषी बता दिया. जब दिल्ली दंगों से सहमी हुयी थी. नफरतें चरम पर थीं. तब केजरीवाल ने कोरोना के लिये तबलीगी जमात को दोषी बता दी.
अब एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट में कुछ बातें साबित हो गयीं
- कोरोना फैलने में मरकज की कोई भूमिका नहीं थी.
- विदेश से आये तबलीगी जमात के लोगों को पुलिस ने अलग-अलग जगह से उठाया और मरकज़ में गिरफ्तारी दिखा दी.
- विदेशी तो अपने घर जाना चाहते थे, लेकिन दिल्ली और अन्य राज्यों की पुलिस ने क़ानूनी फंदे में फंसा कर उन्हें यहीं रोका.
- जिस मौलाना साद की जमीन जायदाद विदेशी पैसे, संदिग्ध आचरण आदि पर टीवी चैनलों ने घंटों तकरीरें की, वह मौलाना आज भी दिल्ली के जामिया नगर इलाके में रह रहे हैं और न उनकी गिरफ्तारी हुयी और न ही मुकदमा.
- यही नहीं नफरत और अफवाह से मेडिकल जैसे प्रोफेशन अछूते नहीं रहे. MBBS सेकेंड ईयर के लिए रेफरेंस बुक में ‘एसेंशियल्स ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी’ में तब्लीगी जमात को संक्रमण फैलने का कारण बताया गया है.
- इसके बाद किताब की लेखक संध्या भट और अपूर्वा शास्त्री ने माफी मांगी है. दोनों लेखकों ने कहा कि अगर उनकी किताब में प्रकाशित अंश से किसी को ठेस पहुंची है, तो वह इसके लिए माफी मांगते है. जैसे ही यह मामला सामने आया उन्होंने माफी मांगी और प्रकाशक ने यह किताब वापस ले ली है. शास्त्री ने कहा कि अब किताब में बदलाव अगले संस्करण में होंगे.
- यह खबर मिडिया से गायब है कि तबलीगी जमात के मामले में पत्रकारिता पर सुप्रीम कोर्ट बहुत कड़ी टिप्पणी कर चुका है. यही नहीं निजामुद्दीन के पुलिस अफसरों की भी झूठे केस बनाने पर खिंचाई हुयी है.
कोरोना अभी भी फ़ैल रहा है. सारे देश में, आधे दर्जन राज्यों में, चुनावी सभाओं में, मरकज से ज्यादा भीड़ जुटती रही है. देश को दिशा देने वाले नेता सार्वजनिक स्थान पर बगैर मास्क के घूमते हैं. पर, पिछले साल की नफरत, कुतर्क ने कई लोगों की जिंदगी तबाह की. कई को पुलिस और गुंडों के हाथों पिटने को मजबूर किया. कई हज़ार लोग अदालत के चक्कर लगाते रहे.
यदि आप भी पिछले साल यह मान बैठे थे कि देश में कोरोना के फैलाव के लिए तबलीगी जमात या मरकज जिम्मदार था. यदि आप भी अफवाही तंत्र में फंस कर एक धर्म विशेष के लोगों से सब्जी-फल ना लेने के धंधे में शामिल थे. यदि आपने भी ऐसी टीवी बहसों को दिलचस्पी से देखा था. यदि आज भी आप उन टीवी चैनलों को देख रहे हैं, जिन्होंने ये अफवाहें फैलाई थी. फिर आपने मन को निर्मल करने के लिए प्रायश्चित जरुरी है.
एक समय उपवास रखें. सार्वजानिक रूप से अपनी गलती माने. उन टीवी चैनलों या ऐसे संदेश भेजने वालों से परहेज करें.
दिल से आवाज़ लगायें सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा. मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. कोई न आपको देख रहा है और ही इसका कोई स्कोर है. लेकिन खुद को धोखा देकर आप अपनी अगली पीढ़ी को जहरीला बनायेंगे. आइये स्वीकार करें हम पिछले साल गलत थे
डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.