Satya Sharan Mishra
Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दुखी हैं. आक्रोशित और हैरान हैं. खास कर झारखंड के कुछ वेब पोर्टल के पत्रकारों की समाचार परोसने के तरीके से. ऐसे पत्रकारों के बारे में उनकी राय विधानसभा के बजट सत्र के समापन भाषण में सामने आई. मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहाः “वेब पोर्टलों के उस्ताद, महाराज लोग, बाजार में माइक लेकर खड़े हो जाते हैं और उनके बारे में कहते हैं, ये क्या जानता है. आंदोलनकारी है? ये दलाल है, फर्जी है. बाप बेच दिया. बेटी बेच दिया. चार दिन माइक पकड़ने से और फुटबॉल ग्राउंड में कमेंट्री करने से कोई नेता नहीं बनता.“
मुख्यमंत्री सिर्फ कुछ न्यूज पोर्टलों के पत्रकार से ही दुखी नहीं हैं. वे अखबारों और टीवी चैनलों की खबर प्रकाशित करने व दिखाने के तरीकों से भी नाराज हैं. सदन में उन्होंने यह भी कहा कि अखबार, मीडिया और टीवी हमारी उन बातों को काट-छांट करके पहले पन्ने पर जरूर छापता है, जिससे राज्य में आग लग जाए और दल में मतभेद पैदा हो.
वैसे तो मुख्यमंत्री कई बार मीडिया पर आरोप लगा चुके हैं कि मीडिया वाले बीजेपी के दफ्तरों और उनके नेताओं के यहां खूब चक्कर काटते हैं. संपादकों का बीजेपी मुख्यालय में खूब आना-जाना रहता है. वह कई बार मंत्रालय से सीएम हाउस लौटते वक्त यह देख चुके हैं, लेकिन इस बार उनकी नाराजगी कुछ खास वजहों से ज्यादा मुखर नजर आयी. इस नाराजगी की सबसे बड़ी वजह 1932 के खतियान के आधार पर नियोजन नीति को लेकर मीडिया में छपा या दिखाया गया उनका बयान है.
इसे भी पढ़ें-राबड़ी बोलीं- सीएम नीतीश की मजबूरी, यूपी में प्रधानमंत्री के गोड़ में गिर गये
23 मार्च को मुख्यमंत्री ने सदन में 1932 के खतियान के आधार पर नियोजन नीति लागू करने को लेकर सरकार की ओर से अपनी बात रखी थी. 24 मार्च को प्रमुख अखबारों में खबर छपी की सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि झारखंड में 1932 के खतियान के आधार पर नियोजन और स्थानीय नीति लागू नहीं होगी. इसके बाद पूरे राज्य में सरकार का विरोध शुरू हो गया. सत्ता पक्ष के विधायक लोबिन हेंब्रम और मथुरा महतो समेत अन्य विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया. ऐसे में मुख्यमंत्री का मीडिया से गुस्सा होना स्वभाविक हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री ने ये कहा ही नहीं था कि खतियान के आधार पर नियोजन और स्थानीय नीति नहीं बनेगी.
अगर आप सदन के अंदर के मुख्यमंत्री के दिये गये भाषण को सुनें तो सारा माजरा समझ में आ जाएगा. मुख्यमंत्री ने 1932 के खतियान के आधार पर नियोजन और स्थानीय नीति बनाने के मुद्दे पर चर्चा के दौरान कहा था “….अगर आप कानून के जानकार हैं, तो खतियान आधारित नियोजन नीति कभी नहीं बन सकती. अगर बनेगा तो कोर्ट उसको तुरंत खत्म कर देगा. कैसे बनेगा ये हमें पता है कि क्या करना है. स्थानीय नीति हमारे एजेंडे में भी है.“ मुख्यमंत्री ने एक उदाहरण स्वरूप यह बात कही, लेकिन अखबारों और मीडिया में सीएम की यह बात घोषणा के तौर पर चलाई गई. उपर से “अगर आप कानून के जानकार हैं तो” को मीडिया ने गौण कर “खतियान आधारित नियोजन नीति नहीं बन सकती” को हेडलाइन बनाया.
इसे भी पढ़ें-राबड़ी के तंज पर कुशवाहा का अटैक- ‘जहां बहुओं की होती है दुर्गति, वहां शिष्टाचार नमन भी बर्दाश्त नहीं’
24 मार्च को ही मीडिया पर मुख्यमंत्री का गुस्सा दिखना शुरू हो गया था. विधानसभा परिसर में स्वच्छ विद्यालय स्वच्छ बच्चे अभियान के शुभारंभ के दौरान मीडिया वालों के प्रति उनकी नाराजगी साफ दिखी. बहुत आगे आ चुके मीडियाकर्मियों को पीछे भेजने का उन्होंने निर्देश दिया. इसके बाद 25 मार्च को विधानसभा परिसर में कुछ “न्यूज पोर्टल” के पत्रकारों विधायक लोबिन हेंब्रम का 1932 के खतियान को लेकर दर्द बांटा. उनके गुस्से को और हवा दी. हेमंत सोरेन के खिलाफ खूब बुलवाया. यह सब बातें मुख्यमंत्री के पास पहुंची और आखिर उन्होंने अपने समापन भाषण में मीडिया को आईना दिखाने की कोशिश की.
[wpse_comments_template]