Washington : अरबों जीवों का प्राकृतिक आवास कही जानेवाली हमारी पृथ्वी एक समय में वैश्विक समुद्र से ढकी हुई थी. हावर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की शोध के अनुसार हर तरफ बस पानी ही पानी था. पानी इतना ज्यादा था कि धरती के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट को अगर उसमें डाला जाता तो वह भी डूब जाता. हावर्ड यूनिवर्सिटी के ताजा शोध में कहा गया गया है कि आज से करीब तीन अरब साल पहले पूरी धरती को समुद्र ने अपनी आगोश में समेट कर रखा था. हावर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हमारे ग्रह के प्राचीन पपड़ी का अध्ययन किया है और पाया कि काफी समय पहले यह रेडियोएक्टिविटी की वजह से 4 गुना ज्यादा गरम थी. इसी वजह से यह इतने ज्यादा पानी को संभाल नहीं पा रही थी. एजीयू में प्रकाशित शोध में कहा गया कि धरती के शुरुआती गरम परत में वर्तमान समय की तुलना में पानी को रखने की क्षमता कम थी.
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इसी वजह से आज की परत में मौजूद अतिरिक्त पानी उस समय की पृथ्वी के सतह पर आ गया और जिससे विशाल समुद्र बन गया था. हालांकि बाद में धरती ठंडा होना शुरू हुई और परत के अंदर मौजूद खनिजों ने धीरे-धीरे प्राचीन समुद्र को अलग कर दिया. इससे वर्तमान समय में मौजूद धरती ऊपर आ गयी. बता दें कि लंबे समय से यह मान्यता थी कि यह धरती एक वॉटर वर्ल्ड थी. वर्ष 1995 में एक फिल्म भी इसी नाम से बन चुकी है.
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यह सिद्धांत लंबे समय से वैज्ञानिक समुदाय के बीच में चर्चा और जांच का विषय रही है. इसीलिए हावर्ड के वैज्ञानिकों ने जमीन के अंदर जांच की ताकि उत्तर को तलाश जा सके. यह परत पृथ्वी के बहुत ज्यादा गरम कोर और बाहरी परत के बीच में स्थित है. यह प्राचीन परत 1800 मील मोटी है और धरती का कुल 84 फीसदी हिस्सा है. यह परत रेडियो एक्टीविटी की वजह से अरबों साल पहले बहुत गरम थी.
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