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समाज को रोगमुक्त रखने के लिए संताल आदिवासी करते हैं बेलबोरोन पूजा

Dumka : दुमका प्रखंड के भुरकुंडा पंचायत के अन्तर्गत लेटो गांव में दिसोम मारंग बुरु युग जाहेर अखड़ा और ग्रामीणों ने बेलबोरोन पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाया. बेलबोरोन पूजा के एक महीने पहले से गुरु-शिष्य गांव में आखड़ा बांधते हैं, जहां गुरु शिष्यों को मंत्र की सिद्धी,परंपरागत चिकित्सा विधि आदि का ज्ञान देते हैं. इसी दौरान गुरु-शिष्य पहाड़ों पर जड़ी-बुटी की खोज में जाते हैं. जहां गुरु अपने शिष्यों को जड़ी-बुटी की पहचान और उसका उपयोग किन बीमारियों में किया जाता है का ज्ञान देते हैं. बेलबोरोन पूजा में मुर्गों की बलि दी गयी. बेलबोरोन पूजा के बाद ग्रामीण अपने गांव में दशांय नृत्य और गीत करते हैं और उसके बाद चार दिन लगातार गुरु-शिष्य गुरु बोंगाओ(गुरु देवता) को लेकर गांव-गांव घुमाते हैं और दशांय नृत्य और गीत के माध्यम ठकुर(इष्ट देव) और ठकरन(इष्ट देवी) का गुणगान गाते हैं. साथ–साथ भक्तों के घर में सुख,शांति,धन आदि के लिये पूजा करते हैं. इस उपलक्ष्य में इनलोगों को दान स्वरुप मकई,बाजरा या रूपये मिलते हैं. इसे भी पढ़ें - राहुल">https://lagatar.in/rahul-gandhis-speech-continues-the-meaning-of-pm-silent-and-pm-violent-explained/">राहुल

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दशांय नृत्य पूजा के दौरान होता है खास

दशांय नृत्य में कई पुरुष महिला का पोशाक पहनते हैं .इसकी वजह ये है कि वे सभी ठकरन(इष्ट देवी) का सपाप(आभूषण और वस्त्र) को प्रतिकार्तामक रूप से पहनते हैं. बेलबोरोन पूजा के अंतिम दिन अपने गांव मे दशांय नृत्य और गीत करते हैं और प्रसाद रूप जो अनाज दान में मिले हैं, उससे वे खिचड़ी बना कर खाते हैं. इस तरह संतालों का बेलबोरोन पूजा गुरु-शिष्य का अद्भुत संबंध का पूजा है. जो हमें पाप नहीं करने,धार्मिक बने रहने,समाज को रोगमुक्त बनाये रखने,परंपरागत जड़ी-बुटी चिकित्सा विधि को जीवित रखने,परंपरागत नाच गाने को बचाये रखने, संस्कृति,धर्म और प्रकृति को बचाए रखने और खुश रहने का संदेश देता है.

संताल आदिवासी बेलबोरोन पूजा की मान्यता

बेलबोरोन पूजा संताल आदिवासियों के द्वारा मनायी जाने वाली पूजा है. संतालों के जोम सिम विनती के अनुसार, जब धरती में मनुष्यों द्वारा पाप बहुत बढ़ गया था, तो परम सत्ता (सृष्टी कर्ता) ठकुर 12 दिन और 12 रात सेगेल दाह(अग्नि वर्षा) धरती के सिंगबीर और मानबीर जगहों में गिराते और इसके साथ-साथ पुहह(जीवाणु/वायरस)भी छोड़ते हैं और मनुष्य जाति को ख़त्म करने का निर्णय लेते हैं. जब यह बात इष्ट देवी ठकरन को पता चली तो उसने ठकुर से कही कि ये सभी हमारे ही बच्चे हैं, इन सभी का नाश नहीं करे. ऐसा करने से हमें ही हानि होगी. इसके लिये मैं लिटह (मराङ बुरु) से बात करुंगी और हम दोनों मिलकर मनुष्यों को धर्म के रास्ते पर फिर से वापस लायेंगे. उस समय लिटह (मराङ बुरु) देवता पृथ्वी लोक में ही रहते थे. इसके लिये ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु) को मोनचोपुरी(पृथ्वी लोक) से शिरमापुरी(देवलोक) बुलाया और कहा - मनुष्य पाप के रास्ते चल पड़ा है जिस कारण ठकुर इन मानव जाति को नाश करने वाले हैं. ठकुर का संदेश है कि हम दोनों(ठकुर और ठकरन) का सपाप(आभूषण और वस्त्र) मोनचोपुरी(पृथ्वी लोक) ले जायें और मनुष्य दशांय नृत्य और गीत के माध्यम से हमारा गुणगान करें. मेरा सुनुम-सिंदुर(तेल-सिंदुर)ले जायें और गांव-गांव घुमाएं. मेरा सपाप(आभूषण और वस्त्र) साड़ी,शंका(for hand),काजल आदि और ठकुर का सपाप(आभूषण और वस्त्र)लिपुर(For leg),पैगोन(small bell),मोर पंख आदि ले जाये. [caption id="attachment_169056" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/10/sing.jpg"

alt="समाज को रोगमुक्त रखने के लिए संताल आदिवासी करते हैं बेलबोरोन पूजा" width="600" height="400" /> दशांय नृत्य करते संताल आदिवासी[/caption] कुछ लोग मेरा सपाप(आभूषण और वस्त्र)पहने और कुछ लोग ठकुर का सपाप(आभूषण और वस्त्र) पहनें और दशांय नृत्य और गीत के माध्यम से हमारा गुणगान करें. ऐसा करने पर ठकुर खुश हो जायेंगे,उन्हें विश्वास हो जायेगा कि मनुष्य पाप छोड़ धर्म के रास्ते पर चल पड़ा है, तब वे मनुष्य जाति का नाश नहीं करेंगे. ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु) से यह भी कहा कि मैं 12 गुरु बोंगाओ(गुरु देवताओ) को भी जाने के लिये कहुंगा जो अपने-अपने कार्य क्षेत्र में निपुण है. जैसे धोरोम गुरु बोंगा - धर्म और धन के देवता,कमरूगुरु बोंगा - रोग मुक्ति के देवता,भुवग गुरु बोंगा - नृत्य,संगीत के देवता आदि. इन सभी को घर-घर घुमाओ,इससे ठकुर के माध्यम से मनुष्य जाति को ख़त्म करने के लिये छोड़े गए पुहह(जीवाणु/वायरस) के माध्यम से जो बीमारी फैली है, वह इन गुरु बोंगाओ(गुरु देवताओ) के माध्यम से खत्म हो जायेगा. इन गुरु बोगाओ(गुरु देवताओ) के माध्यम से मनुष्य बीमारियों का इलाज,दवा,जड़ी-बुटी,धर्म,तंत्र-मंत्र आदि सीखेगा. [caption id="attachment_169057" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/10/sin.jpg"

alt="दशांय नृत्य" width="600" height="400" /> बेलबोरोन पूजा करते संताल आदिवासी[/caption] मोनचोपुरी(पृथ्वीलोक) में मनुष्य गुरु बोंगाओ से गुरु-शिष्य का संबंध स्थापित कर हमारा गुणगान करें. आगे ठकरन ने कहा हम दशांय चांदु (दशांय संताली महीना) के छट्टा दिन(6th Day)को मोनचोपुरी(पृथ्वीलोक) में गुरु बोगाओ(गुरु देवताओ) के साथ अवतरित होगी. इस बेलबोरोन पूजा में (1)धोरोम गुरु बोंगा (2)कमरू गुरु बोंगा (3)भुवग गुरु बोंगा (4)कांशा गुरु बोंगा (5)चेमेय गुरु बोंगा (6)सिद्ध गुरुबोंगा (7)सिदो गुरु बोंगा (8)रोहोड़ गुरु बोंगा (9)गांडु गुरु बोंगा (10) भाइरोगुरु बोंगा (11)नरसिं गुरु बोंगा (12)भेन्डरा गुरु बोंगा की पूजा करते हैं. बेलबोरोन पूजा में गुरु बोंगाओं के नाम पर पूजा किया जाता है. बेलबोरोन पूजा के एक महीने पहले से गुरु-शिष्य गांव में आखड़ा बांधते हैं, जहां गुरु शिष्यों को मंत्र की सिद्धी,परंपरागत चिकित्सा विधि आदि का ज्ञान देते है. इसी दौरान गुरु-शिष्य पहाड़ सहित कई जगहों पर जड़ी-बुटी की खोज में जाते हैं, जहां गुरु शिष्यों को जड़ी-बुटी की पहचान और उसका उपयोग किन बीमारियो मे किया जाता है,इसका ज्ञान देते हैं. इसे भी पढ़ें - रांची">https://lagatar.in/puja-pandals-are-ready-in-ranchi-devotees-are-waiting-for-the-doors-to-open/">रांची

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