Advertisement

नक्सली परमजीत मोची की हत्या के बाद दो गुटों में बंटा टीपीसी उग्रवादी संगठन

Ranchi : चतरा,लातेहार, हजारीबाग और पलामू में सक्रिय टीपीसी उग्रवादी संगठन दो गुटों में बंट गया है. एक गुट टीपीसी सुप्रीमों ब्रजेश गंझू का और दूसरा गुट मुकेश गंझू (सरेंडर) के लोगों का बन गया है.

पुख्ता सूत्रों के मुताबिक टीपीसी के दो गुटों में बंटने के पीछे 10 लाख इनामी नक्सली परमजीत मोची की हत्या है. 29 दिसंबर 2020 को परमजीत की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी. इस मामले में टीपीसी सुप्रीमों ब्रजेश गंझू का आरोप था कि मुकेश गंझू ( सरेंडर) ने लावालौंग और कुंदा इलाके में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए परमजीत की हत्या करवा दिया. क्योंकि परमजीत लावालौंग और कुंदा इलाके में सक्रिय था. इस वजह से सुप्रीमों ब्रजेश गंझू और मुकेश गंझू के बीच विवाद हो गया था.

ब्रजेश गंझू से विवाद और पुलिस की दबिश से मुकेश गंझू ने किया सरेंडर

पुख्ता सूत्रों के मुताबिक मुकेश गंझू का ब्रजेश गंझू से विवाद होने के बाद एक तरफ जहां ब्रजेश उसकी हत्या के फिराक में था, वहीं दूसरी ओर चतरा पुलिस की बढ़ती दबिश से परेशान मुकेश गंझू ने सरेंडर कर दिया था. बताया जा रहा है कि अगर मुकेश गंझू सरेंडर नहीं करता तो ब्रजेश गंझू उसकी हत्या करवा देता. इस वजह से मुकेश ने सरेंडर कर दिया.

लावालौंग में बरामद हुआ था परमजीत का शव

सरकार एवं पुलिस के लिए सिरदर्द बना 10 लाख रुपए का इनामी कुख्यात नक्सली परमजीत उर्फ सोनू दास मारा गया था. परमजीत का शव 29 दिसंबर 2020 की सुबह लावालौंग थाना क्षेत्र के सिलदाग पंचायत स्थिति नावाडीह गांव के पास सुथाय जंगल से बरामद किया गया था. लावालौंग थाना क्षेत्र के कदहे गांव निवासी बासुदेव मोची का बड़ा बेटा सोनू दास मात्र दस वर्ष की उम्र में भाकपा माओवादी संगठन के बाल दस्ता में शामिल हुआ था. वर्ष 2017 में परमजीत भाकपा माओवादी संगठन को छोड़कर जेजेएमपी नामक अपना नया उग्रवादी संगठन बना लिया था. जिसके बाद फिर से टीपीसी के लिए काम करने लगा था.

 15 लाख का इनामी टीपीसी उग्रवादी मुनेश्वर उर्फ मुकेश गंझू ने किया था सरेंडर

15 लाख का इनामी टीपीसी उग्रवादी मुनेश्वर उर्फ मुकेश गंझू ने पूरे नियम के तहत 15 जनवरी को चतरा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. एसपी ऋषभ झा के समक्ष मुकेश गंझू ने सरेंडर कर दिया. गौरतलब है कि मुकेश प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन टीएसपीसी का सेकेंड सुप्रीमो था. संगठन में ब्रजेश गंझू के बाद दूसरा स्थान रखता था.