Ranchi: मानव तस्करी पर आधारित फिल्म “ट्रैप्ड” को अहमदाबाद में होने वाले इंटरनेशनल चिल्ड्रेन फिल्म फेस्टिवल (AICFF) में प्रदर्शन के लिए चुना गया. रांची के युवाओं द्वारा बनाई गई इस फिल्म को ‘स्टूडेंट्स’ कैटेगरी में आधिकारिक रूप से चुना गया है. इस फिल्म को शुभम कुमार ठाकुर और आकाश रंजन ने बनाया है. शुभम ठाकुर रांची यूनिवर्सिटी के रूरल डेवलपमेंट के छात्र हैं और उनके साथी आकाश रंजन “राईट टू फूड” से जुडे़ युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं.
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आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता पर केंद्रित डॉक्यूमेंटरी
“ट्रैप्ड” की शूटिंग रांची और गुमला में की गयी है. 25 मिनट की डॉक्यूमेंटरी फिल्म अर्पणा बाड़ा पर केंद्रित है, जो आदिवासी महिला सामाजिक कार्यकर्ता हैं. अर्पणा बाड़ा 10 से भी ज्यादा वर्षों से मानव तस्करी के मुद्दे पर कार्यरत हैं. उनकी कोशिशों की वजह से कई पीड़ित परिवार अपने बेटों-बेटियों को मानव तस्करों के जाल से छुड़ाने में कामयाब रहे हैं. चार-पांच साल से गायब बच्चे भी अर्पणा के प्रयास से वापस अपने परिवार के पास लौट आये हैं और पीड़ित परिवार को सरकारी मुआवजा दिलाने में भी अर्पणा सफल हुई हैं.
कोविड-19 में मानव तस्करी में वृद्धि
झारखंड के आदिवासी एवं दलित समुदायों के बच्चे मानव तस्करों के शिकार बनते हैं. खासकर गरीब परिवारों की कम उम्र लड़कियों की बड़े पैमाने पर तस्करी की जाती है. कोविड-19 के दौरान मानव तस्करी के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों को परामर्श जारी किये हैं. आयोग की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया था कि मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, महामारी के दौरान मानव तस्करी की घटनाओं में बढोतरी हुई है.
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इस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में विश्व के 25 देशों की 132 फिल्मों ने अपना नामिनेशन भेजा था, जिसमें झारखंड की फिल्म “ट्रैप्ड” को आधिकारिक रूप से प्रदर्शन के लिए चुना गया है. इस फिल्म का ऑनलाइन प्रदर्शन एआईसीएफएफ के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर 18-19 दिसंबर को किया जाएगा.