Ranchi: पूर्व मंत्री देव कुमार धान के नेतृत्व में एक आदिवासी प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राज्यपाल से मुलाकात की और रांची विश्वविद्यालय में आदिवासी भाषाओं से संबंधित पीएचडी शोध कार्यों में हो रही गंभीर अनियमितताओं को लेकर ज्ञापन सौंपा.
प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में 7 नवंबर 2022 के पीएचडी रेगुलेशन के अनुपालन की मांग करते हुए शोध पंजीकरणों की तत्काल समीक्षा और आवश्यकतानुसार उन्हें रद्द करने की मांग की. उन्होंने राज्यपाल को अवगत कराया कि रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में कुड़ुख, मुंडारी, संथाली, हो, नागपुरी, कुरमाली और पंच परगनिया भाषाओं में हो रहे शोध कार्यों में बड़े पैमाने पर धांधली की जा रही है.
पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने बताया कि कई ऐसे शिक्षकों को शोध निर्देशक नियुक्त किया गया है, जिनके पास स्वयं पीएचडी की उपाधि नहीं है. साथ ही नागपुरी भाषा के शिक्षक को मुंडारी भाषा में शोध निर्देशन सौंपा गया है, जो नियमानुसार पूरी तरह से गलत है. इसी प्रकार अन्य जनजातीय भाषाओं में भी नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है.
प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि कुलपति अजीत कुमार सिंह और संकाय अध्यक्ष/डीन डॉ. अर्चना दुबे के संरक्षण में यह गंभीर घोटाला चल रहा है. उन्होंने इसे आदिवासी भाषा और संस्कृति को खत्म करने की सुनियोजित साजिश करार दिया.
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