Ranchi : रांची यूथ पेरिश ने अंडमान के सैकड़ों आदिवासियों को रांची भ्रमण कराया गया.उन्हें मिशनरियों के ऐतिहासिक स्थलों से अवगत कराया गया. रांची के मिशनरी स्कूल, चर्च और कॉलेजों का भ्रमण कराया गया. अंडमान के मेहमानों को मेमोरियल हेरिटेज बेथेसदा, मॉडरेटर बंगला, जीईएल चर्च और गॉस्नर थियोलॉजिकल कॉलेज घुमाया गया. पेरिश यूथ के अध्यक्ष समीर सांगा ने बताया कि अंडमान के आदिवासी यहां मिशनरियों के बड़े कार्यक्रमों में शामिल होने आते हैं.
हमलोग तीसरी पीढ़ी के हैं. हमारे पूर्वज झारखंड के तपकारा गांव में रहते थे
अंडमान निकोबार द्वीप समूह के जीदन सीसी बाहलेन गुडिया ने बताया कि हमलोग तीसरी पीढ़ी के हैं. हमारे पूर्वज झारखंड के तपकारा गांव में रहते थे. हर साल हमलोग अपने परिजनों से मिलने गांव पहुंचते हैं, अपने घर परिवार के लोगों से मिलने के बाद अंडमान जाने का मन नहीं करता है. बताया कि अब वहां सब कुछ बना चुके हैं. झारखंड की मिट्टी बहुत बढ़िया है. कहा कि झारखंड के अधिकतर इलाके पहाड़ों से घिरे रहते थे. चारों ओर हरा भरा जंगल रहता था .लेकिन अब वैसी बात नहीं रह गयी है. चारों ओर फ्लैट बनते जा रहे हैं.
तीसरी पीढ़ी के लोग अंडमान में जन्मे, पढ़े लिखे
अंडमान निकोबार के शशि कुजूर ने बताया कि हमारे पूर्वज सिमडेगा के बाघडेगा के रहने वाले थे. हमलोग उरांव समुदाय से आते हैं.तीसरी पीढ़ी के लोग अंडमान में जन्मे, पढ़े लिखे. शिक्षा अंडमान में पूरी हुई. हम वहां सरकारी नौकरी करने लगे. वहां के निवासी हो गये. हम दो दिवसीय डायसिस महिला सम्मेलन में हिस्सा लेने आये थे. इसी के बहाने हमलोग अपने परिवार से मिल लेते हैं. अगर बाल बच्चों की यहां सरकारी नौकरी लगेगी तो हम अपने पूर्वज के साथ ही रहना पसंद करेंगे.
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