बोकारो. आदिवासी सेंगल अभियान ने डायन प्रथा के खिलाफ पदयात्रा निकाली. संबोधन में नेताओं ने कहा कि सती प्रथा की तरह डायन प्रथा भी आदिवासी गांव- समाज में बीमार मानसिकता के साथ खतरनाक परंपरा है. इस प्रथा की रोकथाम के लिए पदयात्रा निकाली गई है. पदयात्रा हवाई अड्डे से निकल कर डीसी कार्यालय पहुंची, जहां नेताओं ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा. नेताओं ने कहा कि डायन प्रथा झारखंड, बंगाल, उड़ीसा, असम, बिहार आदि राज्यों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों और खासकर संथाल समाज में वृहद स्तर पर फैली हुई है। आदिवासी सेंगेल अभियान विगत दो दशक से ज्यादा समय से आदिवासी सशक्तीकरण में प्रयासरत है।
विकृत मानसिकता का प्रतिफल
यह अंधविश्वास से ज्यादा आदिवासी गांव- समाज की विकृत मानसिकता का प्रतिफल है। डायन के बहाने आदिवासी महिलाओं की हत्या की जाती है, प्रताड़ना के साथ बिना कपड़ों के गांव में घुमाना, दुष्कर्म करना, मैला पिलाना आदि घटनाएं होती रहती हैं और अधिकतर शिक्षित- अशिक्षित, पुरुष – महिला आदिवासी चुप रहते हैं. यह संविधान- कानून द्वारा संचालित भारतीय जनजीवन में मानवीय गरिमा, न्याय और शांति के रास्ते पर आतंकवादी हमले की तरह है. यह ईर्ष्या- द्वेष, स्वार्थ, बदले की भावना, जमीन- जायदाद हड़पने आदि कारणों से भी घटित होती है। नेताओं ने ज्ञापन में रोकथाम के लिए सुझाव भी दिया है।
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