Search

टीएसएलपीएल खदान का 21 अक्तूबर से माल ढुलाई अनिश्चितकाल के लिए ठप करने का ऐलान

Kiriburu : शनिवार को जामकुंडिया हाट बाजार में सारंडा स्थित टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट लिमिटेड की विजय-दो लौह अयस्क खदान से प्रभावित विभिन्न गांवों के मानकी-मुंडा, डकुवा, पंचायत प्रतिनिधि समेत बुद्धिजीवियों की विशेष बैठक सम्पन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम ने कही. बैठक में निर्णय लिया गया कि हम अपनी मांगों को लेकर आगामी 21 अक्तूबर से उक्त खदान प्रबंधन का अनिश्चितकालीन माल ढुलाई ठप किया जायेगा. मानकी लागुड़ा देवगम एवं राजू सांडिल ने कहा कि यह बैठक मुख्य रूप से टीएसएलपीएल खदान से बहकर आने वाली फाइन्स, मिट्टी-मुरुम और लाल पानी से तितलीघाट, जोजोगुटु, राजाबेड़ा, बड़ा जामकुंडिया, छोटा जामकुंडिया, छोटानागरा, बाईहातु, कुम्बिया, लेम्ब्रे, चुर्गी, दुईया, दोदारी, सलाई, मम्माला आदि गांवों के ग्रामीणों की रैयत कृषि भूमि, कोयना नदी, प्राकृतिक जल स्रोत एवं नाले आदि भारी पैमाने पर वर्षों से प्रभावित होते आ रहे हैं जो अब भी निरंतर जारी है. पिछले दिनों हुई वर्षा के दौरान टीएसएलपीएल खदान का बडा़ चेकडैम टूट गया था, जहां से लाखों टन फाइन्स बहकर नदी, नालों व हमारे खेतों को बडे़ पैमाने पर प्रभावित व बंजर कर दिया है. हमारी रैयत बंजर भूमि पर अब किसी प्रकार की फसल की उपज नहीं हो रही है, जिससे हम पहले की तुलना में अब और आर्थिक रुप से कमजोर हो रहे हैं. उषा मार्टिन के कार्यकाल से लेकर टीएसएलपीएल के अधिग्रहण के बाद अर्थात अब तक हम ग्रामीणों ने अनेकों बार कंपनी प्रबंधन से बात कर समस्या रखी लेकिन कंपनी प्रबंधन ने कभी समाधान की दिशा में प्रयास नहीं किया. हमारी मुख्य मांग है कि कंपनी सरकारी अमीन बुलाकर हमारी रैयत भूमि जो उक्त खदान की वजह से बंजर हो गई है उसका नक्शा के आधार पर सर्वे कराकर उसका मुआवजा तमाम जमीन मालिकों को दिलाये. इसके अलावे खदान में प्रभावित गांवों के बेरोजगार युवकों को नौकरी, सीएसआर एवं डीएमएफटी फंड से तमाम गांवों का सर्वांगीण विकास, टाटा स्टील की नोवामुंडी एवं टीएमएच अस्पताल में प्रभावित गांव के ग्रामीणों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाये.

ग्रामीण सारंडा में खदान व उद्योग के पक्षधर पर पर्यावरण को नुकसान न हो

लागुडा़ देवगम ने कहा कि हम ग्रामीण सारंडा में खदान व उद्योग खोलने व स्थापित कराने के पक्षधर हैं तथा हमें किसी भी कम्पनी से कोई निजी दुश्मनी या झगड़ा नहीं है. खदान व उद्योग लगेगा तो सारंडा के बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा जिससे उनकी आर्थिक स्थिति व जीवन स्तर के साथ-साथ उनके बच्चों का शिक्षा स्तर ऊंचा होगा. लेकिन सरकार व खदान प्रबंधनों को यह सुनिश्चित करना होगा की खदान से जंगल, नदी-नाले, प्राकृतिक जलस्रोत, ग्रामीणों के खेत व पर्यावरण को नुकसान नहीं के बराबर पहुंचे, उसकी पूरी व्यवस्था करनी होगी जो खादान प्रबंधने पहले से लेकर आज तक नहीं कर रही है. हम खदान खोलने के लिए ग्राम सभा व पर्यावरणीय स्वीकृति जिन शर्तों पर देते हैं उसका पालन नहीं हो रहा है. टीएसएलपीएल कंपनी बताये कि सबसे ज्यादा प्रभावित गांवों से कितने बेरोजगारों को वह नौकरी व रोजगार के अलावे खादान में ट्रांस्पोर्टिंग आदि का कार्य दी है. जो कार्य बाहरी को दिया जा रहा है वह प्रभावित गांव के बेरोजगारों को समूह बनाकर दे. बैठक में दुनु चाम्पिया (मानकी, दुबिल), जामदेव चाम्पिया (मुंडा, राजाबेडा़), कानूराम देवगम (मुंडा, जोजोगुटू), रोया सिधू (मुंडा, बहदा), लेबेया देवगम (मुंडा, लेम्ब्रे), सोमा चाम्पिया (मुरंडा, कुम्बिया), रमाय मुंडा (मुंडा, सलाई), सुखराम चाम्पिया (मुंडा, दुबिल), जानुम सिंह चेरोवा (मुंडा, दुईया), मनबोध चाम्पिया (मुंडा, दोदारी), धरम गागराई (मुंडा, ममार), पाईकराई देवगम (मुंडा, जामकुंडिया), देवेन्द्र देवगम (उप मुखिया), दुःशासन चेरोवा (पूर्व मुखिया), बागी चाम्पिया (मुखिया प्रतिनिधि), मंगल कुम्हार, रामो सिधू, रामेश्वर चाम्पिया, मोहन लाल चौबे, कुशु देवगम, दशरा चाम्पिया, बीदु चाम्पिया, वीर सिंह हंसदा, रथु कुम्हार आदि दर्जनों गांवों के बुद्धिजीवी शामिल थे. [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp