New Delhi : अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने कहा है कि भारत सरकार ने 2022 में केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा देते हुए उसे लागू किया. आयोग ने अपनी नयी रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने धर्म परिवर्तन, अंतरधार्मिक संबंध, हिजाब पहनने और गोहत्या को निशाना बनाने वाले कानून बनाये. कहा कि ऐसे कानून मुसलमान, ईसाई, सिख, दलित और आदिवासी समुदाय को गलत तरीके से प्रभावित करते हैं. बता दें कि पिछले कई सालों से अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की भारत पर टेढ़ी नजर है.
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नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के लिए भारत में स्थिति खराब होती जा रही है
आयोग ने लगातार चौथे साल धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत को ब्लैकलिस्ट में जोड़ने की सिफारिश की है. आयोग के अनुसार धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के लिए भारत में स्थिति खराब होती जा रही है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग (USCIRF) ने सोमवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में फिर से अमेरिकी विदेश मंत्रालय से भारत को विशेष चिंता वाले देश (Country of Particular Concern, CPC) के रूप में नामित करने का आग्रह किया है. जान लें कि अमेरिकी आयोग 2020 से ही मांग करता रहा है कि भारत को विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित किया जाये. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी देश पर यह लेबल चस्पां होने का अर्थ है कि सरकार धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन कर रही है. जानकारी के अनुसार यदि अमेरिका का विदेश मंत्रालय किसी देश पर यह लेबल लगाता है तो उस पर अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंध लग जाते हैं.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 1.4 अरब की आबादी में लगभग 14 प्रतिशत मुस्लिम, 2 प्रतिशत ईसाई हैं, और 1.7 प्रतिशत सिख हैं. देश की लगभग 80 फीसदी आबादी हिंदू है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आलोचनात्मक आवाजों, विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी वकालत करने वालों को दबाना जारी रखा है. इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) ने आयोग की इन सिफारिशों का स्वागत किया है. काउंसिल ने ट्वीट कर कहा है कि IAMC धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के लगातार चौथे वर्ष मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए भारत को विशेष चिंता का देश (CPC) के रूप में नामित करने के फैसले का स्वागत करता है. बता दें कि IAMC अमेरिका में भारतीय मुसलमानों के लिए काम करता है.
अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग सरकार को केवल अपनी सिफारिशें दे सकता है
एक बात और कि अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग सरकार को केवल अपनी सिफारिशें दे सकता है. उसके पास नीति-निर्धारण का किसी तरह का अधिकार नहीं है. खबरों के अनुसार अमेरिकी आयोग पिछले चार सालों से इस तरह की सिफारिशें कर रहा है लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग ने उसकी सिफारिशों को हर बार नजरअंदाज किया है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि कि बाइडेन प्रशासन ने कई सिफारिशों के बाद भी भारत पर विशेष चिंता वाले देश का लेबल नहीं लगाया है. भारत सरकार द्वारा अभी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है. पिछले साल आयोग की ऐसी ही सिफारिश पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अमेरिकी अधिकारियों पर गलत जानकारी और पक्षपाती टिप्पणी का आरोप लगाया था. बागची ने उस समय कहा था कि भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है. [wpse_comments_template]