जरा सोचिये, टीका केंद्रों पर हजारों लोग वैक्सीन लेने पहुंच गये और उन्हें टीका नहीं मिला तो क्या पहले से डर व गुस्से से उबल रहे लोग भड़क नहीं सकते !
Surjit Singh
19 अप्रैलः केंद्र की मोदी सरकार ने घोषणा की कि एक मई से 18 साल के ऊपर के लोग भी कोरोना की वैक्सीन ले पायेंगे. नाम दिया गया 18+ वैक्सीन अभियान.
26 अप्रैल-सुबहः केंद्र सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों का रजिस्ट्रेशन लेना शुरु कर दिया.
26 अप्रैल-शामः केंद्र सरकार के अधिकारियों ने टीवी पर आकर पीठ थपथपाई. कहा कि 2.30 करोड़ लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया.
आज 30 अप्रैलः पता चल रहा है कि शायद किसी राज्य में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का टीका लग पायेगा. क्यों ? क्योंकि किसी राज्य के पास टीका है ही नहीं. केंद्र सरकार ने पहले जो टीका उपलब्ध कराया है, उसके लिए स्पष्ट रूल है कि उसका इस्तेमाल 45 साल से अधिक उम्र के लोग ही कर सकते हैं. 18+ के लोगों के लिए राज्यों के पास वैक्सीन है ही नहीं. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने तुरंत देने से इंकार कर दिया है.
अब हालात यह है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब सरकार, झारखंड सरकार, बिहार सरकार, राजस्थान सरकार, यूपी सरकार, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री यह कह रहे हैं कि एक मई से 18 से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाना संभव नहीं है. इसलिए 18 से 44 साल की उम्र वाले लोग वैक्सीन (टीका) केंद्र तक नहीं पहुंचे.
यह कैसे हुआ. क्या केंद्र सरकार को पता नहीं था कि वैक्सीन नहीं है. जब राज्यों की तरफ से कहा जा रहा था कि वैक्सीन नहीं है. तब केंद्र के मंत्रियों ने कहा कि वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. क्यों ? यह झूठ क्यों फैलाया गया. क्यों ? क्यों केंद्र सरकार की ओर से लगातार.. यह दावा किया गया कि वैक्सीन की कमी नहीं है.
अब जरा सोचिये, अगर एक मई को टीका केंद्रों व वैक्सीन लेने हजारों लोग पहुंचने लगे. तब क्या स्थिति बनेगी. अस्पतालों में बदइंतजामी को लेकर लोग गुस्से और डर में पहले से हैं. धैर्य खोने की स्थिति में हैं. अगर टीका केंद्रों पर लोगों ने अपना धैर्य को दिया, तब इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. कौन जिम्मेदार होगा, अगर कहीं अशांति फैलती है.
Leave a Comment