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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूछा, सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में सीजेआई की भूमिका क्यों होना चाहिए

New Delhi : भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में सीजेआई की भूमिका पर आपत्ति जताई है. उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा दुनिया में कहीं और हो रहा है?  वे कल सोमवार को कोच्चि में कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों से बातचीत कर रहे थे.

 

 

 

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि सीबीआई निदेशक जैसे कार्यपालिका के पदाधिकारी की नियुक्ति में भारत के सीजेआई  की भी भूमिका होती है. श्री धनखड़ का सवाल था कि कार्यपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका के अलावा किसी और को द्वारा क्यों होनी चाहिए?  पूछा कि क्या संविधान के तहत ऐसा  होता है? दुनिया में किसी ओर देश  में ऐसा हो रहा है.

 

 

बता दें कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति  DSPE एक्ट के तहत एक हाई पावर कमेटी करती है. इसके सदस्यों में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी तरफ से नॉमिनेट कोई जज शामिल होते हैं।.


 
 
जगदीप धनखड़ ने उम्मीद जताई कि दिल्ली में एक न्यायाधीश(य़शवंत वर्मा) के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू होगी.  

 

 

उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्ट्डीज (एनयूएएलएस) में छात्रों और संकाय सदस्यों से बातचीत करते हुए उच्च न्यायालय के  न्यायाधीश के आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने की तुलना शेक्सपीयर के नाटक जूलियस सीजर के एक संदर्भ आइडस ऑफ मार्च से की.

 

रोमन कलैंडर में इडस का अर्थ होता है, किसी माह की बीच की तारीख.  उल्लेखनीय है कि रोम के सम्राट जूलियस सीजर की हत्या 44 ईसा पूर्व में 15 मार्च को हुई थी.

 


उपराष्ट्रपति ने कहा कि 14-15 मार्च की रात को न्यायपालिका को अपने खुद के ‘इडस ऑफ मार्च का सामना करना पड़ा, जब बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की गयी थी, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. उपराष्ट्रपति ने कहा कि यदि नकदी बरामद हुई थी तो शासन व्यवस्था को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी   

 

 

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