Ranchi : झारखंड का पहला आयुध कारखाना देवघर में स्थापित हो रहा है. रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दिया है. देवघर के त्रिकुटी पर्वत के नजदीक झरना से निकलने वाले पानी को रोककर बडे जलाशय (Large reservoir) में जमा कर योजना के लिए पानी की आपूर्ति करनी थी.
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वर्ष 2015 में योजना का शिलान्यास हुआ था
वर्ष 2015 में योजना का शिलान्यास हुआ था. मगर वन विभाग और सिंचाई विभाग के बीच यह योजना अधर में लटकी हुई है. योजना से DRDO की पानी की जरूरत को देखते हुए अब जिला प्रशासन ने दोनों विभाग को समन्वय बनाकर योजना को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश जारी किया है.
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देवघर उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने दोनों विभाग से पूछा है
देवघर उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने दोनों विभाग से पूछा है कि योजना का काम कबतक शुरू हो जाएगा. योजना शुरू होने में क्या—क्या परेशानी है. इस संबंध में मंजुनाथ भजंत्री ने बताया कि जलाशय बनाने की योजना का काम जल्द शुरू हो जाएगा. वन भूमि को लेकर कुछ परेशानी थी, जिसे दूर कर लिया गया है.
मधुपुर चुनाव के बाद जिला प्रशासन जलाशय निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर कर लेगा. वर्तमान में देवघर नगर के जोन टू में पानी की परेशानी है. उन क्षेत्रों में जल संकट दूर करने के लिए हर संभव उपाये किए जा रहे है. जलाशय निर्माण के लिए बाद ही डीआरडीओ के पानी की जरूरत पूरा हो पाएगा.
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DRDO के पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए बनी थी योजना
झारखंड के देवघर में सिंचाई के साथ डीआरडीओ (DRDO) को पानी उपलब्ध कराने के लिए त्रिकुट जलाशय योजना स्वीकृत की गई. 2015 में इस योजना का शिलान्यास किया गया था. लेकिन तब से वन विभाग और सिंचाई विभाग के बीच यह योजना अधर में लटकी हुई है. देवघर के त्रिकुटी पर्वत स्थित झरना से निकलने वाले पानी को रोककर त्रिकुट के समीप एक बड़े जलाशय (Large reservoir) के निर्माण का निर्णय लिया गया था.
इस जलाशय से सिंचाई के साथ DRDO के पानी की जरूरत को पूरा करने का फैसला किया गया. योजना का शिलान्यास 2015 में ही हुआ था, लेकिन तब से यह तब से यह अधर में लटकी हुई है.
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योजना के लिए 58 एकड़ वनभूमि का होना है अधिग्रहण
जलाशय निर्माण योजना के लिए लगभग 58 एकड़ वन भूमि का अधिग्रहण होना है. वन विभाग के अनुसार, उनकी तरफ से फॉरेस्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया पूरी कर जल संसाधन विभाग को भेजा जा चुका है, लेकिन जल संसाधन विभाग ने इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की है. DRDO के दबाव और उपायुक्त के पत्र के बाद अब जल संसाधन विभाग की नींद खुली है. क्षेत्रीय वन पदाधिकारी का कहना है कि योजना का DPR (डीपीआर ) बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सब कुछ ठीक रहा तो एक से डेढ़ साल में योजना पूरी हो जाएगी.
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