Ranchi : आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सिरमटोली सरना स्थल और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर आंदोलन और रैली आयोजित करने का निर्णय लिया है. यह निर्णय सोमवार को सिरमटोली बचाओ मोर्चा और आदिवासी बचाव मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में बुलाई गई बैठक में लिया गया, जिसमें आदिवासी समाज की बढ़ती चिंताओं पर गहन चर्चा हुई और भविष्य की रणनीति तय की गई.
आदिवासी विरोधी को सत्ता में नहीं आने देंगे
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि जल, जंगल और जमीन की लड़ाई में अब आदिवासियों को एकजुट होकर सड़कों पर उतरना होगा. उनका कहना था कि जो भी आदिवासी होकर भी आदिवासी विरोधी कार्य करेगा, उसे सत्ता की कुर्सी तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा. उनके अनुसार पार्टी बाद में आती है, पहले समाज.
आस्था पर हो रहे हमले चिंताजनक
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासियों की आस्था पर लगातार हमले हो रहे हैं. भोगनाडीह में श्रद्धांजलि देने गए आदिवासियों पर लाठीचार्ज किया गया, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस पर चुप हैं.
उन्होंने इस चुप्पी को सत्ता की संवेदनहीनता बताया और चेतावनी दी कि यह उलगुलान (विद्रोह) अब रुकने वाला नहीं है. बहुत जल्द राजधानी रांची में एक विशाल रैली आयोजित की जाएगी.
आदिवासी समाज को नई क्रांति की आवश्यकता
पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने हूल दिवस के अवसर पर कहा कि झारखंड बने 24 साल हो चुके हैं, लेकिन आदिवासियों को अब भी उनका अधिकार नहीं मिला है. धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है. ऐसे में समाज को जागरूक होकर एक नई क्रांति के लिए तैयार रहना होगा.
सत्ता में आए नेता भी खामोश
सामाजिक कार्यकर्ता निरंजना हेरेंज ने कहा कि जो नेता आदिवासियों के वोटों से सत्ता में आए, वही आज समाज के दर्द पर मौन हैं. आदिवासी अस्मिता, अधिकार और आस्था पर हमले हो रहे हैं. इसकी रक्षा के लिए जन-जागरण अभियान चलाया जाएगा. रैलियों और आंदोलनों की एक श्रृंखला क्रमबद्ध रूप से आयोजित की जाएगी.इस बैठक में प्रेमशाही मुंडा, कुदरसी मुंडा, निशा भगत, सुशीला कच्छप समेत अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे.