Surjit Singh
अच्छा तो यह हिम्मत. नई कार नहीं खरीद रहे. पुरानी कार से काम चला रहे हो. तुम अमीरों को जब भी मौका मिलता है बस सरकार का नुकसान कर देते हो. कहने लगते हो नई की औकात नहीं. पैसे नहीं बचते. पुरानी से ही काम चला लेंगे. तो लो भरो 12 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत जीएसटी. देखते हैं कैसे कार पर चलते हो..
हम ना हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी कम करेंगे ना किसी दूसरे तरह के इंश्योरेंस पर. कोई और रास्ता निकालोगे तो वहां भी टैक्स बढ़ा देंगे.
यह तो पता ही है सबको कि इस देश में कार पर चलने का सपना कौन देखता है. गरीब लोग तो नई कार खरीद लेते हैं. एसयूवी खरीद लेते हैं. 20-30 लाख के. ये जो अमीर लोग हैं ना इनके ही ज्यादा नखरे हैं. पुरानी कार खरीद कर सपने पूरे करने चल देते हैं. तो लो अब भरो और 5 प्रतिशत ज्यादा टैक्स. आखिर अमीर ज्यादा टैक्स नहीं देंगे तो कौन देगा!
हमारी सरकार मीडिल क्लास के लिए है. गरीब और मीडिल क्लास के लिए ही काम करती है. उनके लिए ही टैक्स में छूट है. वो कंपनी के नाम पर सब कुछ खरीद कर इस्तेमाल करते हैं. इनपुट-आउटपुट भी कर लेते हैं. लेकिन ये अमीर लोग टीवी, फ्रीज गाड़ी, स्कूटी, साबुन, तेल, सब चीजों पर टैक्स भरते हैं. इसलिए पुरानी गाड़ी पर भी छह प्रतिशत ज्यादा टैक्स भर देंगे. आदत है उन्हें तो. अमीर जो ठहरे.
कुल मिलाकर बात यह है कि ये अमीर लोग इतने भी बेचारे नहीं हैं. इसलिए सरकार इनकी परवाह क्यों करे. चालाक भी बहुत हैं. नई कार खरीदना कम कर दिये, तो लो पुरानी कार पर टैक्स बढ़ा कर घाटे की भरपाई कर लेते हैं. ठीक ही हुआ. इन अमीरों को सबक मिलना भी बहुत जरूरी है.