Girish Malviya
आरोग्य सेतु ऐप किसने बनाया सरकार को पता नहीं है ! एक आरटीआइ के जवाब में सरकारी वेबसाइटों को डिजाइन करने वाले नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर ने कहा है कि आरोग्य सेतु ऐप को किसने बनाया, यह उसे पता ही नहीं है. नेशनल इन्फ़ॉर्मेटिक सेंटर सरकार की एजेंसी है. सभी वेब पेज को सरकारी डेटा सेंटर में होस्ट करती है, मेंटेन करती है.
अगर यह ऐप NIC से नहीं है ना ही सरकार के डेटा सेंटर में यह होस्ट है. यह ऐप किसने बनायी और सरकार इसे क्यों एंडॉर्स कर रही इसका कोई स्पष्ट जवाब अभी तक नहीं दिया गया है.
है न कमाल की बात है! लेकिन प्रश्न तो वहीं खड़ा है कि सरकारी वेबसाइट बनाने वाली कंपनी ने नहीं बनाया तो किसने बनाया और किस आधार पर उसे अनिवार्य किये जाने की बात की जा रही है?
पिछले दिनों कर्नाटक हाइकोर्ट ने अपना निर्णय दिया कि आरोग्य सेतु ऐप अपने फोन में नहीं रखने वाले नागरिकों से केंद्र या राज्य सरकार जरूरी सुविधाएं छीन नहीं सकतीं.
दरअसल, यह ऐप पूर्ण रूप से सरकारी है ही नहीं. यह सार्वजनिक-निजी साझेदारी से विकसित किया गया है. यानी वही पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप जो मोदी राज की पहचान बन गयी है.
आरोग्य सेतु को दरअसल मेकमाइट्रिप डॉट कॉम (makemytrip.com) और वीएमजीडॉटकॉम (vmg.com) जैसे ऐप के डेवलपर्स के सहयोग से विकसित किया गया है. और नाम के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग की बात की गयी थी. जिसकी सच्चाई आज सामने आ गयी.
इस ऐप में अति आधुनिक ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी, एल्गोरिदम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल किया गया है. सच तो यह है कि आरोग्य सेतु ऐप एक तरह के लीगल वैक्यूम में काम कर रहा है. क्योंकि इसके इस्तेमाल का कानूनी आधार स्पष्ट नहीं किया गया है. दुनिया में जो इस तरह के अधिकांश ऐप बनाये गये हैं. वे बीमारी के नियंत्रण के लिए बनाये गये हैं. लेकिन आरोग्य सेतु तालाबंदी और क्वारंटाइन को सफलता पूर्वक लागू करने के लिए बनाया गया है.
सबसे बड़ी बात यह है कि ऐप के ही टर्म्स ऑफ सर्विस में लिखा हुआ है कि ये कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्ति को पहचानने में गलती भी कर सकता है. इसका मतलब इसके जरिए बिना मेडिकल जांच किये किसी को कोविड-19 पॉजिटिव घोषित किया जा सकता है और उससे आवाजाही जैसे मूल अधिकार छीन लिये जा सकते हैं.
ऐप में जोड़ी गयी ‘आरोग्य सेतु मित्र’ वेबसाइट ई-फार्मेसीज के लिए मार्केटिंग टूल की तरह काम कर रही है. इस वेबसाइट के माध्यम से प्राइवेट ई-फार्मेसी के विज्ञापन दिखाये जा रहे हैं. लोगों में यह भ्रम की स्थिति है. यह वेबसाइट सरकारी है. जबकि सच्चाई यह है कि यह थर्ड पार्टी वेबसाइट है.
ई-फार्मेसी कंपनियों द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इस तरह से दवाइयां बेचना भारत के संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 का उल्लंघन है.
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि आरोग्य सेतु उपयोगकर्ता से जो करार किया गया है. उसमें कहा गया है कि भविष्य में इस डाटा का उपयोग महामारी नियंत्रण से अलग काम के लिए भी किया जा सकता है. सरकार जिसे उपयुक्त समझे उसके साथ इसे साझा कर सकती है.
दरअसल इस ऐप को लेकर सारी चिंता डाटा की सुरक्षा को लेकर है. फ्रांस के एक हैकर और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट इलियट एल्डर्सन ने दावा किया था कि आरोग्य सेतु ऐप की सुरक्षा में गंभीर खामियां हैं.
अगर आरोग्य सेतु ऐप सरकार ने नहीं बनायी है. तो वह इसके डाटा की सुरक्षा की जिम्मेदारी किस आधार पर ले रही है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.