Anant Anand
Bermo: कोरोना वैक्सीन आने की खुशी देश के हर नागरिक को है, लेकिन जो दर्द कोरोना पीड़ित परिवार ने झेला है, उसकी कल्पना दूसरे लोग नही कर सकते. लोग उनपर सहानुभूति जरूर रख सकते हैं. लेकिन उनदिनों की सामाजिक दुराव की पीड़ा वही व्यक्त कर सकते हैं जिन्होंने वे दिन देखे हैं. हम बात कर रहे झारखंड के पहला कोरोना संक्रमण से एक वृद्ध की मौत की. बेरमो अनुमंडल अंतर्गत गोमिया प्रखंड के साड़म स्थित चटनियांबाग ग्राम में एक बुजुर्ग का इलाज के दौरान बोकारो जेनरल अस्पताल में निधन हो गया था.
वह चार पांच दिन से दमा रोग की शिकायत पर इलाजरत थे. 8 अप्रैल की रात को वृद्ध व्यक्ति का निधन हो गया. चिकित्सकों ने शव को देने से पहले एहतियातन उसका कोरोना जांच कराया. जैसे ही रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई कि कोहराम मच गया. बीजीएच अस्पताल के जिस वार्ड में उसका इलाज किया गया था. उसे सील कर दिया गया. इलाज में शामिल चिकित्सक, नर्स, वार्ड के अन्य सदस्य सभी को क्वारंटीन कर दिया गया.
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सुबह ऐसा था मृतक के गांव का माहौल
9 अप्रैल की सुबह हर दिन की तरह लोग नींद से जागे थे कि पुलिस प्रशासन की फौज देख लोग घबरा गए. आखिर क्या हुआ कि अभी सूरज की किरण घर के मुंडेर पर आई ही थी कि, जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासन तक गांव में कदमताल कर रही है. देखते ही देखते गांव, छावनी में तब्दील हो गया. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के साथ पुलिस प्रशासन मृतक के परिवार और बगल के पड़ोसी को इस प्रकार सबको अस्पताल ले गए जैसे उन्होंने कोई अपराध किया हो.
लेकिन सरकार की ओर से जारी कोविड 19 का आदेश ही ऐसा था कि इस महामारी को विकराल रूप नहीं होने देना है. कोरोना से यह राज्य का पहला मौत था. सभी चिंतित थे, वहीं मृतक के परिजन यह मानने को तैयार नहीं थे कि कोविड के कारण निधन हुई है. हालांकि पूरे परिवार को एवं उनके पड़ोसी को बोकारो कोविड सेंटर ले जाया गया. सभी सदस्यों की जांच हुई, जिसमें मृतक के भाई और भतीजा का कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इलाज होने के बाद जिला प्रशासन ने उन्हें गुलदस्ता देकर विदा किया.
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आज क्या कहते हैं मृतक के पुत्र
इस संबंध में मृतक के पुत्र रिजवान अंसारी और शहीद अंसारी ने बताया कि उनदिनों की पीड़ा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. ऐसा लग रहा था मानो कि पैर से जमीन ही खिसक गई है. आज भी उन दिनों को याद कर सिहर जाते हैं. कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या होगा. पूरे परिवार को क्वारंटीन कर दिया गया था. लेकिन जब चिकित्सक आये और हौसला बढ़ाया तब थोडी राहत महसूस होने लगी. इसके बाद जब वहां से घर लौट कर आने लगा, और चिकित्सक कर्मी ने स्वागत किया वह यादगार पल है.
14 दिन तक सील था गांव
साड़म पूर्वी पंचायत के चटनियांबागी को चारों तरफ से बैरिकेट लगाकर सील कर दिया गया. जिला प्रशासन ने 14 दिन तक 3 किलोमीटर के रेडियस में सुपर लॉक डाउन में तब्दील कर दिया. एसडीओ, एसडीपीओ, बीडीओ, सीओ एवं थाना प्रभारी की तैनाती कर दी गई. चारों तरफ सीसीटीवी कैमरा लगा दिया गया. एक व्हाट्सएप नंबर जारी किया गया. स्वयं सेवक के माध्यम से जरूरत के समान मुहैया कराने के लिए तैनात कर दिया गया. पूरा मुहल्ला को एक जेल की तरह बना दिया गया था. लोग उसे याद कर सहम जाते हैं.
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झारखंड में कोरोना से साड़म का इतिहास
जब कभी भी कोरोना से होने वाली मौत की चर्चा होगी तो पहला केस के लिए गोमिया को याद किया जाएगा. यह बात दीगर है कि फिर यहां कोई दूसरा नाम नहीं आया. झारखंड में 12 अप्रैल को दूसरी मौत रांची के हिंदपीढ़ी से थी. फिर 13 अप्रैल को एक महिला की मौत हजारीबाग में हुई और इस प्रकार सिलसिला शुरू हुआ. वैसे तीनों की उम्र 60 साल से ऊपर थी और अन्य बीमारियों से ग्रसित भी थे.
16 जनवरी को कोरोना वैक्सीन की टीकाकरण के लिए याद किया जाएगा. आज भारत के वैज्ञानिक इस मुकाम पर हैं कि इस तरह की महामारी से निपटने के लिए विदेशों का मुंह न ताकना पड़े.