Search

रोकने का सिलसिला आखिर कब थमेगा !

Faisal Anurag प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला पहली बार भटिंडा से फिरोजपुर के रास्ते में एक पुल पर रोका गया. इसके बाद प्रधानमंत्री को भटिंडा वापस लौटना पड़ा. गृह मंत्रालय ने बिना देरी किये पंजाब सरकार से इसका कारण पूछा है. लेकिन मूल सवाल यह है कि पुल पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है जो पिछले 24 घंटे से फिरोजपुर के जाने वाले तमाम रास्ते को बंद किये हुए थे. फिरोजपुर में 50 हजार कुर्सियां लगायी गयी थीं लेकिन 10 प्रतिशत भी नहीं भरी. भाजपा के कार्यकर्ताओं के अलावे कोई नहीं गया. अब केंद्र और पंजाब सरकार के बीच इस घटना के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. लेकिन सवाल उठता है कि एक लोकतांत्रिक देश में नेताओं को रोकने का सिलसिला आखिर कब थमेगा. यह पहला अवसर है कि प्रधानमंत्री का काफिला रोका गया लेकिन हाथरस में जिंदा जला दी गयी दलित महिला वाले मामले में तमाम विपक्षी नेताओं को जाने से किसने रोका था. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और तृणमूल कांग्रेस की महिला सांसदों के साथ बदसलूकी किसके कहने पर यूपी पुलिस ने की थी. इसे भी पढ़ें- BIG">https://lagatar.in/big-breaking-pm-modis-convoy-stuck-for-15-20-minutes-ferozepur-rally-canceled-home-ministry-seeks-reply-from-cm-channi/">BIG

BREAKING : पीएम मोदी का काफिला 15-20 मिनट फंसा, फिरोजपुर रैली रद्द, गृह मंत्रालय ने सीएम चन्नी से मांगा जवाब
किसानों को दिल्ली पहुंचने से किसने रोका और किसानों के रास्ते में किस तरह सड़कें खोद दी गयीं. किस तरह वाटर केनन और लाठीचार्च हुए. दिल्ली के बॉर्डर पर सात सौ किसान किस कारण शहीद हुए. इस देश में लोकतांत्रिक विरोध करने के तमाम तरीकों को कुचलने के लिए किए बाड़ लगाए गए. दिल्ली में बाड़ लगे और कंटीले तार बिछा दिए गए, आखिर यह किसने किया. जाहिर है कि दिल्ली के इशारे पर हुआ और दिल्ली नहीं चाहती थी कि देश के किसान उसकी नीतियों का विरोध करें. इस देश में माहौल बना दिया गया है कि एक व्यक्ति ऐसा है जिस पर सवाल उठाने का हक किसी को नहीं है. यही नहीं लखिमपुर खिरी में जब किसानों को भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री टेनी के पुत्र ने कुचल कर मार दिया. तब लखिमपुर खिरी जाने से विपक्ष के नेताओं को यूपी पुलिस ने कैसे रोका इसे दुनिया ने देखा है. यही नहीं मुख्यमंत्रियों तक को रोका गया. पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के साथ किस तरह का व्यवहार एयरपोर्ट पर हुआ और उन्हें बाहर निकलने से रोका गया यह भी दर्ज है. पंजाब की घटना तो किसानों के आक्रोश की परिणति है. जिसमें उनके सात सौ से ज्यादा साथी मरे और न जाने कितनी तकलीफें उन्हें उठानी पड़ी. प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा से तो पंजाब के चुनावों में प्रचार की शुरूआत होनी थी. लेकिन प्रधानमंत्री को यदि लोग सुनने नहीं आए तो भाजपा को यह सोचने की जरूरत है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद यदि किसानों का विरोध हो रहा है तो इसे समझने की जरूरत है. किसान तो पंजाब में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ भी आंदोलनरत हैं. इसे भी पढ़ें- सुरक्षा">https://lagatar.in/security-lapse-case-pm-said-thank-your-cm-that-i-was-able-to-return-alive-till-bathinda-airport/">सुरक्षा

में चूक मामला, PM ने पंजाब के अधिकारियों से कहा- “अपने CM को धन्यवाद कहना कि मैं भटिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया
प्रधानमंत्री की गरिमा का ख्याल जरूर रखा जाना चाहिए और लोकतंत्र में प्रचार से किसी को रोके जाने का समर्थन भी नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन केंद्र और राज्य के ब्लेम गेम के बजाय गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि लोकतंत्र की तंग होती जमीन देश के लिए अच्छी बात नहीं है. लेकिन इन बातों के अलावे एक और गंभीर बात है जिसका हर हाल में जपाब देना चाहिए कि प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर जो सतर्ककता की जरूरत होती है उसे क्यों नहीं रखा गया. भटिंडा फिरोजपुर के रास्ते में भीड़ जुटने की सूचना कैसे नहीं मिली. तय है कि गंभीर सवालों के बजाय कांग्रेस भाजपा के बीच ब्लेम गेम चलेगा. चुनावी राजनीति के माहौल में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यरोप लगा का ज्वलंत सवाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि देश के प्रधानमंत्री को एक पुल पर रोका गया और 15-20 मिनटों तक उनका काफिला रूका रहा. सुरक्षा के नजरिये से यह एक गंभीर घटना जरूर है. राजनीतिक ब्लेम गेम के बजाय लोगों के सवालों का जबाव देने की जरूरत केंद्र, राज्य, भाजपा और कांग्रेस की है. इसे भी पढ़ें- पीएम">https://lagatar.in/how-did-such-a-big-lapse-in-pms-security-happen-home-ministry-sought-report-from-punjab-government/">पीएम

की सुरक्षा में कैसे हुई इतनी बड़ी चूक? गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से मांगी रिपोर्ट
[wpse_comments_template]    
Follow us on WhatsApp