Ranchi:एडीजी अनुराग गुप्ता और पूर्व सीएम रघुवर दास के तत्कालीन प्रेस सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ पीसी की धारा जोड़ने को लेकर दायर आवेदन पर बुधवार को सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एपीपी जया टोप्पो ने मामले की सुनवाई कर रहे न्यायिक दंडाधिकारी अनुज कुमार की कोर्ट से समय की मांग की. अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए अब हॉर्स ट्रेडिंग से जुड़े इस केस में पीसी एक्ट की धारा जुड़ेगी या नहीं इसपर पांच जून की तारीख मुकर्रर की है.
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पीसी एक्ट की धारा जोड़ने की इजाजत मिलने पर आयेगा बड़ा मोड़
बता दें कि कथित तौर पर राज्यसभा चुनाव 2016 में हुए हॉर्स ट्रेडिंग के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और एडीजी अनुराग गुप्ता की मुश्किलें अब थोड़ी बढ़ सकती हैं. इस केस के अनुसंधानकर्ता ने आरोपियों के खिलाफ पीसी एक्ट की धारा जोड़ने के लिए अदालत में आवेदन दिया है. केस आईओ के द्वारा यह आवेदन सिविल कोर्ट के ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया गया है. अब संभवत: ड्रॉप बॉक्स से इस आवेदन को निकालने के बाद अदालत इस मामले में सुनवाई के बाद कोई निर्देश जारी कर सकता है. अदालत अगर पीसी एक्ट की धारा जोड़ने की इजाजत दे देता है, तो इस पूरे प्रकरण में बड़ा मोड़ आ जाएगा.
बता दें कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, एडीजी अनुराग गुप्ता और पूर्व सीएम के सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ पीसी एक्ट ( प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट ) के तहत केस चलाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंजूरी दे दी है. पीसी एक्ट के तहत मामला चलाने का आदेश वर्ष 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग के मामले में दी गई है. इसमें अनुराग गुप्ता और अजय कुमार को प्राथमिक अभियुक्त माना गया है, जबकि रघुवर दास को अप्राथमिक अभियुक्त.
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वोट के लिए रिश्वत देने की कोशिश की थी
जानकारी के मुताबिक अनुराग गुप्ता और अजय कुमार ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिए कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के पति योगेंद्र साव को रिश्वत देने की कोशिश की थी. उस वक्त वायरल एक वीडियो में रघुवर दास और अजय कुमार धुर्वा स्थित योगेंद्र साव के घर भी गये थे. वीडियो में रघुवर दास सब ठीक कर देने की बात कह रहे थे. जिस वक्त का वीडियो है, उस वक्त योगेंद्र साव पुलिस की नजर में फरार चल रहे थे.
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बाबूलाल मरांडी ने तब चुनाव आयोग से की थी शिकायत
ऑडियो और वीडियो वायरल होने के बाद जेवीएम के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ( अब भाजपा के विधायक हैं ) ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी. चुनाव आयोग ने अपनी जांच में शिकायत को सही पाया. जिसके बाद आयोग ने झारखंड सरकार को प्राथमिकी दर्ज करने और अनुराग गुप्ता व अजय कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था. रघुवर सरकार ने अनुराग गुप्ता के खिलाफ जगन्नाथपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली थी. उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी शुरू की थी. लेकिन अजय कुमार के खिलाफ किसी तरह की विभागीय कार्यवाही नहीं शुरू की गयी. जबकि जिस वक्त यह घटना हुई थी, उस वक्त वह प्रींसिपल सेक्रेटरी रैंक में सीएम के राजनीतिक सलाहकार थे. हेमंत सोरेन के सत्ता में आने के बाद सरकार ने अनुराग गुप्ता को निलंबित कर दिया.