Neeraj Neer
“जय झारखंड” यही नारा लगाकर झारखंड अस्तित्व में आया था. लेकिन आज 20 सालों के बाद क्या स्थिति है? किसकी जय हो रही है यहां. कम से कम झारखंड की तो नहीं. एक बानगी देखिये..
पहले घरों में पानी की आपूर्ति के लिए पाइप बिछाया गया, इस हेतु जेसीबी मशीन लगाकर सड़कों को तोड़ दिया गया. (ये अलग बात है 4 इंच व्यास के जो पाइप बिछाए गए, उससे कितनी और कैसे पानी की सप्लाई होगी यह संदिग्ध है.)
फिर महीनों, वर्षों तक टूटी सड़कों का दंश भोगने के बाद सड़कों की मरम्मत की गई.
और यह क्या अभी सड़कों के बने दो-चार महीने ही हुए थे कि पाइप बिछाने वाले फिर से जेसीबी मशीनें लेकर दनदनाते हुए आ गए और बहुत ही बेदर्दी से सड़कों को तोड़ने लगे. लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ, ये क्या, जहां पूर्व में पाइप बिछाई गई हैं वहीं फिर से खुदाई क्यों?
जवाब सुनकर झारखंड के बाहर के लोग शायद हैरान हो जाएं, हालांकि हम हैरान नहीं हुए. जवाब था कि पहले वाली कंपनी जिसने पाइप बिछाई थी वह भाग गई, अब नई कंपनी आई है, वह पाइप बिछाएगी.
घर-घर मशीनें चल रही हैं. सड़कों को तहस-नहस किया जा रहा है. आम आदमी हतप्रभ है.सरकारी अमला नए DPR की तैयारी में है. मीडिया न जाने क्या देख रही है?
यहां कंपनियां अक्सर भाग जाती हैं. फ्लाई ओवर बनाने आई कंपनी आधा पिलर बनाकर भाग जाती हैं. स्मार्ट डक्ट बनाने वाले कुछ सौ फ़ीट खोदने के बाद भाग जाते हैं. नाली बनाने वाले ऐसी नाली बनाते हैं कि नाली का पानी सड़क पर बहता है. दिल्ली और मुम्बई की कम्पनियों के लिए झारखंड एक चारागाह है, जहां से वे चारा खाने के बाद अक्सर भाग जाते हैं.