Anand Kumar
Ranchi: आधुनिक समूह का उदय ऐसे समय में हुआ, जब झारखंड बने पांच साल पूरे होने वाले थे. अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे और राज्य में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए दुनिया भर के निवेशकों को न्योता दे रहे थे. निवेशकों को भी झारखंड में बेहतर संभावनाएं नजर आ रही थीं. आर्सेलर मित्तल, जिंदल, वेदांता, टाटा समूह जैसे औद्योगिक घराने हजारों करोड़ के एमओयू कर रहे थे और इन्हीं के बीच उभर रहा था एक छोटा सा औद्योगिक समूह आधुनिक, जो आगे चलकर झारखंड के औद्योगिक मानचित्र पर बड़ा नाम बनने वाला था.
इसे भी पढ़ें- भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत, दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन एक लाख, 15 हजार करोड़ पार
19 अगस्त 2005 को आधुनिक समूह की तरफ से मनोज अग्रवाल ने ने 2.6 मिलीयन टन के एकीकृत इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए झारखंड सरकार के साथ पहला एमओयू किया. आधुनिक समूह पहले ही सरायकेला के कांड्रा में 0.4 मिलियन टन का एक स्पंज आयरन प्लांट चला रहा था. यह झारखंड राज्य में आधुनिक समूह की पहली दस्तक थी.
आधुनिक एलॉयज एंड पावर लिमिटेड की स्थापना के बाद मनोज अग्रवाल ने आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेस लिमिटेड की स्थापना की और 1080 मेगावाट के सुपर क्रिटिकल ताप बिजलीघर की स्थापना के लिए झारखंड सरकार से एक और एमओयू किया. वर्ष 2012 में सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड के पदमपुर गांव में इसके पहले चरण से उत्पादन आरंभ हुआ. 270 मेगावाट की इन दो यूनिटों की कुल उत्पादन क्षमता थी 540 मेगावाट. दूसरे चरण में 270 मेगावाट की दो और यूनिट लगायी जानी थी. 16 अक्टूबर 2012 को बहुत धूमधाम से इस पावर प्लांट का उद्घाटन हुआ. तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जो कि उस समय उपमुख्यमंत्री थे, समेत तमाम मंत्री विधायक और गणमान्य लोग इसमें शामिल हुए यह झारखंड का सबसे बड़ा निजी पावर प्लांट था और आज भी है.
इसे भी पढ़ें- शेयर बाजार : टॉप टेन में से सात कंपनियां मालामाल हुईं, रिलायंस, भारती एयरटेल घाटे में
झारखंड में जितने भी एमओयू हुए उनमें आधुनिक समूह ने ही अपना वादा निभाया. उसने स्टील प्लांट लगाया और पावर प्लांट भी, लेकिन उसकी सरकार से हमेशा एक शिकायत रही और वह थी कि वादे के मुताबिक सरकार ने उसे कच्चा माल उपलब्ध नहीं कराया. स्टील प्लांट के लिए न तो लोहे की खदान मिली और न ही पावर प्लांट के लिए कोयला. हालांकि केंद्र सरकार ने टाटा स्टील के साथ संयुक्त रूप से आधुनिक एलॉयज एंड पावर लिमिटेड के लिए एक कोयला खदान, गणेशपुर कोल ब्लॉक आवंटित की थी जो कि लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड में थी. बाद में कोयला खदान आवंटन घोटाला उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब कोयला खदानों का आवंटन रद्द किया गया, तो उनमें गणेशपुर कोल ब्लॉक भी था.
इसे भी पढ़ें- अमेरिकी शेयर बाजार से बाहर होगें 3 चीनी कंपनियां
आधुनिक पावर को कोई कोल ब्लॉक नहीं मिला. यह ताप बिजली घर अपने उत्पादन के लिए लिंकेज और ऑक्शन के कोयले पर निर्भर रह गया. कच्चे माल की बढ़ती लागत और संसाधनों के अभाव में कारखानों के परिचालन का खर्च बढ़ता गया और 2016 आते-आते कंपनी की वित्तीय हालत इतनी खस्ता हो गयी कि वित्तीय संस्थानों को अपनी पूंजी निकालने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल का सहारा लेना पड़ा. अब एक बार फिर अग्रवाल बंधु झारखंड में नये सिरे से शुरुआत कर रहे हैं. एक समय झारखंड में 5000 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाले अग्रवाल बंधु छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन मजबूत और ठोस शुरुआत करना चाहते हैं. पिछले 4 वर्षों में स्वर्णरेखा नदी में काफी पानी बह चुका है. देखना है कि इस बदले हालात में उनकी कोशिश कितनी कामयाब होती है.
इसे भी पढ़ें- शेयर बाजार : टॉप टेन में से सात कंपनियां मालामाल हुईं, रिलायंस, भारती एयरटेल घाटे में